प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक में एक बात साफ़ उभर कर सामने आई कि लॉकडाउन के प्रभावों से उबरने के लिए राज्य सरकारों को विशेष आर्थिक पैकेज की ज़रूरत है।
राज्यों ने प्रवासी मज़दूरों और मझोले-लघु-सूक्ष्म उद्योगों की मदद करने की बात कही। इसके अलावा खपत बढ़ाने के उपाय करने की भी चर्चा की गई।
तमाम मुख्यमंत्रियों ने इस पर ज़ोर दिया कि केंद्र सरकार लॉकडाउन के असर से तबाह हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में राज्यों की मदद करे।
राज्यों का आर्थिक सशक्तीकरण
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्यों के वित्तीय और आर्थिक सशक्तीकरण की आवश्यकता है ताकि लोगों की जान बचाई जा सके और उनकी आजीविका की रक्षा की जा सके।
एक दूसरे ट्वीट में पंजाब के मुख्यमंत्री ने तुरन्त जीएसटी के मद में राज्य के हिस्से का 4367 करोड़ रुपए देने की माँग की।
अमरिंदर सिंह ने तात्कालिक वित्तीय मदद के रूप में तीन महीने का राजस्व अनुदान तुरन्त देने की माँग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की।
याद दिला दें कि इसके पहले कोरोना वायरस से अर्थव्यवस्था को पड़ रही चोट को देखते हुए मोदी सरकार ने 1 लाख 70 हज़ार करोड़ के आर्थिक पैकेज का एलान किया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘प्रधानमंत्री ग़रीब अन्न कल्याण योजना के तहत अगले तीन महीने तक ग़रीबों को 5 किग्रा मुफ्त चावल या आटा दिया जायेगा। इसके अलावा प्रति परिवार को 1 किग्रा दाल भी 3 महीने तक मिलेगी। बुजुर्गों, दिव्यांगों को अगले तीन महीने में 1 हजार रुपये अतिरिक्त दिये जायेंगे। मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी गई है।’
विपक्ष कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी ने इस पैकेज की तारीफ की थी। पर इस पैकेज से सीधे लोगों को पैसे मिलने थे। अब राज्य सरकार अपने लिए पैकेज की माँग कर रही हैं। वे चाहती हैं कि केंद्र सरकार उनकी मदद करे ताकि वे आम जनता की मदद करने के लिए अपनी योजना बना सकें और उसे लागू कर सकें।
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