प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों को बेचकर भारी धनराशि एकत्र करने की अपनी योजना का खुलासा किया है। इसमें कोई नई बात नहीं है और देश की जो आर्थिक स्थिति है, उसमें यह मजबूरी है। आश्चर्य इसमें है कि वो ग़लत तर्क दे रहे हैं कि बिज़नेस करना सरकार का काम नहीं है। अगर इसे मान लिया जाए तो सरकार का काम पहले के फ़ैसलों को पलटना, नए नियम बनाना और मनमानी करना भी नहीं है।
आख़िर कोई तो बताए कि सरकार का काम क्या है?
- अर्थतंत्र
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- 27 Feb, 2021

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों को बेचकर भारी धनराशि एकत्र करने की अपनी योजना का खुलासा किया है। देश की जो आर्थिक स्थिति है, उसमें यह मजबूरी है। आश्चर्य इसमें है कि वो ग़लत तर्क दे रहे हैं कि बिज़नेस करना सरकार का काम नहीं है।
बेशक, सरकार के कुछ काम अच्छे होंगे, कुछ बुरे होंगे, कुछ ज़रूरी होंगे और कुछ मजबूरी के होंगे। पर एक आदर्श सरकार का काम सरकारी संपत्ति बेचकर खर्च चलाना नहीं हो सकता है।
क्या है मक़सद?
बेशक कहा जा सकता है कि बिक्री का मक़सद यह नहीं है। पर यह भी सरकारी संपत्ति को बेचने का सही कारण नहीं है। सरकार का काम पारदर्शिता रखना और योजनाबद्ध ढंग से एक लक्ष्य के लिए काम करना भी है। बेशक लक्ष्य जनकल्याण ही होगा, धन कमाना नहीं होगा, पर घोषित तो हो। कोई सरकार धन कमाते हुए जन कल्याण कर सकती है और कोई नहीं कमाकर भी करती रह सकती है और प्रचारकों की सरकार कुछ नहीं करके भी जनकल्याण करने का प्रचार कर सकती है।