प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों को बेचकर भारी धनराशि एकत्र करने की अपनी योजना का खुलासा किया है। इसमें कोई नई बात नहीं है और देश की जो आर्थिक स्थिति है, उसमें यह मजबूरी है। आश्चर्य इसमें है कि वो ग़लत तर्क दे रहे हैं कि बिज़नेस करना सरकार का काम नहीं है। अगर इसे मान लिया जाए तो सरकार का काम पहले के फ़ैसलों को पलटना, नए नियम बनाना और मनमानी करना भी नहीं है।