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क्रिकेट लीजेंड बने और देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलकर का नाम 'पैंडोरा' पेपर्स में है। ब्रिटिश वर्जीनिया आईलैंड्स के ऑफ़शोर खाताधारक के रूप में उनका नाम पाए जाने से वे चर्चा में हैं।
इसमें सचिन के अलावा उनकी पत्नी अंजलि तेंदुलकर और ससुर आनंद मेहता के नाम भी हैं। लातिन अमेरिकी देश पनामा की लॉ कंपनी का कहना है कि इन लोगो के नाम ब्रिटिश वर्जीनिया आईलैंड्स की कंपनी सास इंटरनेशनल लिमिटेड के बेनीफ़िशियल ओनर्स और निदेशक के रूप में दर्ज हैं।
'इंडियन एक्सप्रेस' ने यह जानकारी दी है। इस अखबार के अनुसार सचिन के नाम नौ, उनकी पत्नी के नाम 14 और ससुर के नाम शेयर हैं। इस परिवार के पास कुल 60 शेयर थे, जिनकी कीमत लगभग 60 करोड़ रुपए थी।
लेकिन पनामा पेपर्स के उजागर होने के बाद उन्होंने ये शेयर बेच दिए और कंपनी बंद कर दी।
तेंदुलकर के वकील ने दावा किया है कि इसमें कुछ भी ग़ैरक़ानूनी नहीं है और भारत के आयकर विभाग के लोगों को इसकी जानकारी दी जा चुकी है।
इंटरनेशनल कॉसोर्टियम ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) की तरफ़ से की गई इस पड़ताल में दुनिया भर के 650 खोजी पत्रकारों ने हिस्सा लिया।
'इंडियन एक्सप्रेस' ने ब्रितानी अख़बार 'द गार्डियन' और अन्य मीडिया संस्थानों के साथ मिलकर 1.2 करोड़ दस्तावोज़ों को हासिल किया। ये दस्तावेज़ ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड, पनामा, बेलीज़, साइप्रस, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों के 14 फाइनेंशिल सर्विस कंपनी से लीक हुए हैं।
जिन लोगों के नाम इस लीक में सामने आए हैं, उनमें से कुछ लोग पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स घोटाले जैसे आरोप झेल रहे हैं। इस लीक को 'पैंडोरा पेपर्स' का नाम दिया गया है।
35 से ज़्यादा मौजूदा और पूर्व नेताओं और 300 से ज़्यादा सरकारी अधिकारियों के नाम इस लीक में सामने आए हैं, जिन्होंने ऑफ़शोर कंपनियों में पैसे लगाए हैं और उसके ज़रिए दुनियाभर में संपत्तियाँ बनाईं।
इससे पता चला है कि जॉर्डन के शाह ने ब्रिटेन और अमेरिका में गुप्त रूप से सात करोड़ पाउंड की संपत्ति ख़रीदी।
इसी से पता चला है कि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर और उनकी पत्नी ने लंदन में अपना ऑफ़िस ख़रीदते समय स्टैंप ड्यूटी नहीं दिया और 3 लाख 12 हज़ार पाउंड बचा लिए। ब्लेयर दंपत्ति ने एक ऑफ़शोर कंपनी ख़रीदी थी और ऑफ़िस का स्वामित्व इसी कंपनी के नाम पर है।
लीक में रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन के मोनाको में स्थित संपत्ति से लिंक की बात भी सामने आई है।
सबसे बड़ी जानकारी इस बात को लेकर सामने आई है कि कैसे अमीर और शक्तिशाली लोग क़ानूनी तौर पर कंपनियाँ बना कर ब्रिटेन और विदेशों में संपत्तियाँ ख़रीद रहे हैं।
दस्तावेज़ों के मुताबिक़ इन ख़रीदारियों के पीछे 95,000 ऑफ़शोर विदेशी कंपनियाँ हैं।
आईसीआईजे के फर्गस शील ने बीबीसी से कहा,
“
इतने बड़े पैमाने पर इससे पहले कभी कुछ नहीं हुआ और यह इस वास्तविकता को सामने लाता है कि कितने बड़े स्तर पर ऑफ़शोर विदेशी कंपनियाँ लोगों के लिए काला धन छिपाने और टैक्स बचाने का ज़रिया बन सकती हैं।
फर्गस शील, आईसीआईजे
उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेन्सी से कहा, "ये लोग इन विदेशी अकाउंट, विदेशी ट्रस्टों का उपयोग कर दूसरे देशों में करोड़ों डॉलर की संपत्ति ख़रीद रहे हैं और आम नागरिकों के पैसे का इस्तेमाल अपने परिवारों को समृद्ध बनाने में कर रहे हैं।''
आईसीआईजे का मानना है कि इस पड़ताल के ज़रिए वह ''कई बड़ी चीज़ों से पर्दा उठा रहा है।'' इसलिए इसे 'पैंडोरा पेपर्स' का नाम दिया गया है।
इस लीक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के क़रीबी, जिनमें कैबिनेट मंत्री और उनके परिवार के लोगों के नाम भी शामिल हैं। इस लीक में बताया गया है कि इन लोगों ने गुप्त रूप से ऑफ़शोर कंपनियाँ ख़रीदी हैं।
इसके अलावा यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने 2019 का चुनाव जीतने से ठीक पहले एक गुप्त ऑफ़शोर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी ट्रांसफ़र की थी।
इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो, जो एक बैंकर भी रह चुके हैं, उनके परिवार के सदस्य की अमेरिका स्थित एक ट्रस्ट को पनामियन फ़ाउंडेशन से हर महीने पेमेंट की जाती थी।
इसी क्रम में कई भारतीयों के नाम भी आए हैं। कॉरपोरेट लॉबीइस्ट नीरा राडिया, उद्योगपति अनिल अंबानी, कांग्रेस नेता सतीश शर्मा, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर समेत कई लोगों के नाम 'पैंडोरा पेपर्स' में पाए गए हैं।
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