देश के कुल 119 लोगों की आय क़रीब 22 सौ करोड़ रुपये रोज़ बढ़ रही है। इसी दौर में कृषि क्षेत्र पर निर्भर क़रीब 60 फ़ीसदी लोगों की आय घट रही है। या यूँ कहें कि लगभग तबाह ही है। ख़ुदरा मज़दूरी की दरें जिन पर तीस फ़ीसदी आबादी निर्भर है, कमोबेश स्थिर है। केंद्र और राज्यों में सातवें वेतन आयोग को अभी बहुत बड़े हिस्से में लागू किया जाना बाक़ी है यानी सरकारी कर्मचारियों के बहुमत की आय भी स्थिर ही है। और देश पर बीते चार सालों में क़रीब पचास फ़ीसदी कर्ज बढ़ा है।