देश के कुल 119 लोगों की आय क़रीब 22 सौ करोड़ रुपये रोज़ बढ़ रही है। इसी दौर में कृषि क्षेत्र पर निर्भर क़रीब 60 फ़ीसदी लोगों की आय घट रही है। या यूँ कहें कि लगभग तबाह ही है। ख़ुदरा मज़दूरी की दरें जिन पर तीस फ़ीसदी आबादी निर्भर है, कमोबेश स्थिर है। केंद्र और राज्यों में सातवें वेतन आयोग को अभी बहुत बड़े हिस्से में लागू किया जाना बाक़ी है यानी सरकारी कर्मचारियों के बहुमत की आय भी स्थिर ही है। और देश पर बीते चार सालों में क़रीब पचास फ़ीसदी कर्ज बढ़ा है।
क्या आप रोज़ाना 22 सौ करोड़ रुपये कमा सकते हैं?
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- 21 Jan, 2019

देश के कुल 119 लोगों की आय क़रीब 22 सौ करोड़ रुपये रोज़ बढ़ रही है। कृषि क्षेत्र पर निर्भर क़रीब साठ फ़ीसदी लोगों की आय घट रही है।
तो ये कौन लोग हैं जिन्हें मोदी राज में इतना इत्मिनान, इतनी अनुकूल परिस्थितियाँ मिलीं कि उनके खातों में हर रोज़ 22 सौ करोड़ रुपये बढ़ रहे हैं?
- ऑक्सफ़ैम द्वारा वर्ल्ड इकनॉमिक फ़ोरम, दावोस, में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 18 नये खरबपति बढ़े हैं जिनसे देश में खरबपतियों की कुल संख्या 119 हो गई है। इन सबकी कुल संपत्ति देश के 2018-19 के सकल बजट से भी ज़्यादा हो चुकी है जो क़रीब पच्चीस हज़ार बिलियन डॉलर के आस पास है।
ग़ौरतलब है कि इस खरबपति विकास योजना के दौर में भारत का स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश लज्जाजनक रहा है। कहा जा सकता है कि नीतियों के निर्धारक इस बदहाली को बिलकुल भी गंभीरता से नहीं लेते।
- ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि 130 करोड़ लोगों के लिए सभी राज्यों और केंद्र सरकार का स्वास्थ्य, पेय जल, साफ़-सफ़ाई का पूरा बजट देश के सबसे बड़े एक सेठ मुकेश अंबानी की दौलत से भी कम है। इसका कुल बजट 2,08,166 करोड़ ही है, जबकि मुकेश अंबानी की घोषित या ज्ञात आय 2,80,700 करोड़ रुपये है।