निर्मला सीतारमण का पहला ही बजट बेहद फीका, बेस्वाद, हल्का और जल्द ही भूल जाने वाला है। इसमें न तो कोई दृष्टि है, न कोई योजना, न भविष्य की कोई चिंता और न ही अतीत से कुछ सीखने की कोशिश। पहले से बेहाल और तेज़ी से फिसलती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए कुछ नहीं किया गया है। न माँग बढ़ाने की कोशिश की गई है, न खपत के बारे में सोचा गया, न लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए कुछ है। और तो और, बेरोज़गारी जैसे मुद्दे पर सरकार बिल्कुल चुप है, मानो यह कोई मुद्दा ही नहीं है, जबकि ख़ुद सरकार ने माना है कि बेरोज़गारी 45 साल के सबसे ऊँचे स्तर पर है।
खपत कम, रिकॉर्ड बेरोज़गारी, क्या इस बजट से संभलेगी अर्थव्यवस्था?
- अर्थतंत्र
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- 29 Mar, 2025
पहले से फटेहाल अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए वित्त मंत्री ने कोई कदम नहीं उठाया है। फीके बजट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे कहा जाए कि तेज़ी आएगी।
