बेरोज़गारी के आँकड़े के बाद अब आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए एक और बुरी ख़बर है। तेल-साबुन और खाने-पीने जैसे उपभोक्ता सामान की माँग घट गयी है। नीलसन की रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्काल खपत उपभोक्ता माल यानी एफ़एमसीजी उद्योग की वृद्धि दर धीमी होकर इस साल 11-12 प्रतिशत रह जाने की संभावना है। यह वर्ष 2018 के मुकाबले क़रीब दो प्रतिशत कम होगा। इसे अर्थव्यवस्था के धीमी होने या विकास की रफ़्तार के कम होने का संकेत माना जाता है। इसका साफ़ अर्थ यह हुआ कि सामान ख़रीदने की लोगों की क्षमता कम हुई है। इससे यह भी पता चलता है कि लोगों की आय में गिरावट आयी है। हाल के दिनों में ही ऐसी कई रिपोर्टें आयी हैं जिसमें पिछले दो साल में लाखों लोगों की नौकरी छिन जाने की बात कही गयी है। बता दें कि इससे पहले खुदरा महँगाई दर बढ़कर 4 महीने के उच्च स्तर पर पहुँच गई है, इसके और भी बढ़ने के आसार हैं। देश की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर भी एक साल में 7.5 फ़ीसदी से घटकर 1.7 फ़ीसदी रह गई है।
मोदी सरकार को एक और झटका, एफ़एमसीजी सेक्टर में सुस्ती
- अर्थतंत्र
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- 2 May, 2019
बेरोज़गारी के आँकड़े के बाद अब आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए एक और बुरी ख़बर है। तेल-साबुन और खाने-पीने जैसे उपभोक्ता सामान की माँग घट गयी है। एफ़एमसीजी सेक्टर की वृद्धि दर 11-12 प्रतिशत रह जाने की संभावना है।
