यस बैंक के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार लगातार घिरती जा रही है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए यस बैंक को उबारने की सरकार की योजना को ‘विचित्र’ क़रार दिया।
चिदंबरम ने कहा कि ‘अभी तक यह समझा जा रहा है कि स्टेट बैंक से कहा गया है कि वह 2,450 करोड़ रुपए देकर यस बैंक की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ले। यह बहुत ही विचित्र बात है क्योंकि यस बैंक का नेट वर्थ शून्य हो चुका है।’
उन्होंने संकेतों में यह भी कह दिया कि सरकार के कहने पर ही स्टेट बैंक यह घाटे का सौदा कर रहा है। पी चिदंबरम ने कहा :
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‘मुझे नहीं लगता है कि स्टेट बैंक अपनी मर्ज़ी से यस बैंक को बचाने के लिए सामने आ रहा है, ठीक वैसे ही जैसे आईडीबाई को बचाने के लिए एलआईसी ख़ुद सामने नहीं आया था।’
पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री
यस बैंक के मुुद्दे पर चिदंबरम काफी हमलावर हैं और सरकार की आलोचना लगातार कर रहे हैं। उनके सामने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैं, जो इस पूर्व वित्त मंत्री पर तंज कर रही हैं। उन्होंने मौजूदा स्थिति के लिए चिदंबरम को ही ज़िम्मेदार ठहराया है और कहा है कि उनके समय लिए गए ग़लत फ़ैसलों की वजह से ही आज स्थिति इतनी बुरी है।
चिदंबरम ने सीतारमण पर तंज करते हुए कहा, ‘जब मैं उनकी बातें सुनता हूं तो मुझे कभी- कभी लगता है कि आज भी यूपीए की ही सरकार है, मैं अभी भी वित्त मंत्री हूं और वह विपक्ष की नेता हैं।’
चिदंबरम ने यस बैंक की इस स्थिति के लिए सीधे तौर पर बीजेपी सरकार को ज़िम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा, ‘जब आप ग़लत प्रबंधन करेंगे तो एक के बाद दूसरे संकट में फंसेंगे ही।’
भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यस बैंक को लेकर आरबीआई की पुनर्गठन योजना पर एसबीआई की टीम काम कर रही है।
रजनीश कुमार ने जानकारी दी कि एसबीआई यस बैंक में 49 फ़ीसदी तक हिस्सेदारी ख़रीद सकता है। उन्होंने कहा कि ड्राफ़्ट योजना के तहत यस बैंक में 2,450 करोड़ निवेश किया जाएगा।
इस दौरान उन्होंने जानकारी दी कि एसबीआई यस बैंक में 49 फ़ीसदी तक हिस्सेदारी ख़रीद सकता है।
रजनीश कुमार ने कहा कि ड्राफ़्ट योजना के तहत यस बैंक में 2,450 करोड़ निवेश किया जाएगा।
यस बैंक में वित्तीय संकट के बाद हाल ही में आरबीआई ने बैंक से नकद निकासी समेत कई अन्य पाबंदियां लगा दी थीं।
आरबीआई ने बैंक के ग्राहकों के लिए नकद निकासी की सीमा 3 अप्रैल तक 50 हज़ार रुपये तय कर दी है। साथ ही बैंक को बचाने के लिए एक ड्राफ़्ट पेश किया है जिसमें एसबीआई ने दिलचस्पी दिखाई है।
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