पिछले सितंबर की तिमाही में देश की जीडीपी में आश्चर्यजनक रूप से गिरावट देखने को मिली। यह घटकर 5.4 फीसदी रह गया था जबकि उसके पहले की तिमाही में यह 6.7 फीसदी से भी ज्यादा था। इसके पहले अप्रैल-जून तिमाही में विकास की दर 6.7 फीसदी थी। 2023 में इसी तिमाही में विकास दर 8.1 फीसदी रही। यानी पहले जीडीपी विकास की दर बेहतरीन थी और वित्त मंत्रालय आने वाले समय के लिए भी आशान्वित था।

अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां और यहां तक कि विश्व बैंक भी कह रहा था कि भारत की जीडीपी विकास की दर 6.5 फीसदी से भी ज्यादा रहेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और जो हुआ वह अप्रत्याशित था। बढ़ती महंगाई, मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट, खदान क्षेत्र में निराशाजनक प्रदर्शन से जीडीपी में वह गति नहीं आई जिसकी अपेक्षा थी। दरअसल देश के मिडल क्लास की हालत इस समय खराब है। वह मिडल क्लास जिसके कंधों पर जीडीपी विकास की गति को बढ़ाने की जिम्मेदारी है, अब थक कर हांफने लगा है।