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आईआईटी प्लेसमेंट में बड़ी गिरावट क्यों? जानें इसकी बड़ी वजहें

देश में नौकरियों की जो स्थिति है, क्या उसका असर अब आईआईटी पर भी दिख रहा है? क्या दुनिया भर में कंपनियों की स्थिति ठीक नहीं है और क्या अर्थव्यवस्था के अच्छे संकेत नहीं हैं? 

दरअसल, भारत के 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों यानी आईआईटी में से आधे से अधिक में 2023-24 के सत्र में बीटेक छात्रों के प्लेसमेंट में 2021-22 की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। यह खुलासा केंद्रीय सरकार द्वारा संसद की स्थायी समिति को सौंपे गए आंकड़ों में हुआ है। यह पहली बार है जब सरकार ने इस तरह के डेटा का खुलासा किया है। इन आँकड़ों से आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में छात्रों की रोजगार स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

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रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में जिन प्रमुख आईआईटी में प्लेसमेंट में गिरावट आई है, उनमें आईआईटी मद्रास, आईआईटी बंबई, आईआईटी कानपुर और आईआईटी दिल्ली शामिल हैं। मिसाल के तौर पर आईआईटी मद्रास में प्लेसमेंट में 12 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 85.71% से घटकर 73.29% हो गया। आईआईटी बंबई में लगभग 13 प्रतिशत की गिरावट देखी गई और यह 96.11% से घटकर 83.39% हो गया।

इसके अलावा, कुछ आईआईटी जैसे कि आईआईटी धारवाड़ में प्लेसमेंट में 25 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई और यह 90.20% से घटकर 65.56% हो गया।

आईआईटी में बीटेक छात्रों के प्लेसमेंट में यह गिरावट विभिन्न कारणों से हो सकती है। रिपोर्ट में इसका कारण पूरी तरह से साफ़ नहीं किया गया है, लेकिन इसके पीछे कुछ अहम कारण ये हो सकते हैं-

  • आईटी और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति में उतार-चढ़ाव आना एक बड़ा कारण हो सकता है। 2023-24 में कई कंपनियों ने अपनी भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया, खासकर वैश्विक मंदी के प्रभाव से। इससे छात्रों को प्लेसमेंट मिलने में कठिनाई हुई।
  • पिछले कुछ सालों में छात्रों के बीच उच्च शिक्षा, जैसे कि मास्टर डिग्री और एमबीए, में रुचि बढ़ी है। कई छात्रों ने नौकरी के बजाय अपनी शिक्षा जारी रखने का निर्णय लिया, जिससे प्लेसमेंट प्रतिशत में गिरावट आई।
  • एक और कारण यह हो सकता है कि बहुत से छात्र अपने खुद के स्टार्ट-अप शुरू करने में रुचि ले रहे हैं। यह बढ़ता हुआ रुझान है, खासकर उन छात्रों के बीच जो तकनीकी क्षेत्रों में कौशल रखते हैं और अपनी खुद की कंपनियों को खड़ा करने के लिए प्रेरित होते हैं।
इस गिरावट को देखते हुए स्थायी समिति ने सरकार से इस पर विचार करने का आग्रह किया है और सुझाव दिया है कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कदम उठाने चाहिए।

समिति ने यह भी कहा कि रोजगार की स्थिति में सुधार के लिए आईआईटी को छात्रों की कौशल सेट पर अधिक ध्यान देना चाहिए और उन्हें उद्योग की बदलती ज़रूरतों के अनुसार प्रशिक्षित करना चाहिए।

इसके अलावा, यह भी अहम है कि आईआईटी प्रशासन और सरकार यह सुनिश्चित करें कि छात्रों को रोजगार के अधिक अवसर दिए जाएँ, चाहे वह स्टार्ट-अप के रूप में हो या अन्य क्षेत्रों में रोजगार के रूप में।

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आईआईटी में प्लेसमेंट की गिरावट ने छात्रों, शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। यह गिरावट सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह उस बदलती हुई वास्तविकता को दिखाता है, जिसमें छात्रों को नौकरी के मौक़े कम होते जा रहे हैं। हालाँकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि यह गिरावट सिर्फ़ एक वर्ष की घटना हो सकती है, और भविष्य में रोजगार की स्थिति में सुधार की उम्मीद जताई जा सकती है, बशर्ते सही कदम उठाए जाएं।

अगर सरकार और आईआईटी प्रबंधन इस दिशा में सक्रिय रूप से काम करते हैं, तो इस संकट से निपटने में मदद मिल सकती है और छात्रों के लिए रोजगार के बेहतर अवसर तैयार हो सकते हैं।

(रिपोर्ट का संपादन: अमित कुमार सिंह)
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क़मर वहीद नक़वी
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