बीजेपी और मोदी सरकार देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर ख़ूब बयानबाज़ी करते हैं और अक़सर किसी भी छोटी सी बात को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ देते हैं। लेकिन यह सरकार इस बात का क्या जवाब दे सकती है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डीएसपी दविंदर सिंह के ख़िलाफ़ चल रही जांच को उसने क्यों बंद कर दिया है।
दविंदर सिंह को जनवरी, 2020 में श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर कार में आतंकवादी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों के साथ पकड़ा गया था। इनमें से एक आतंकी का नाम नवीद बाबू था। नवीद पहले स्पेशल पुलिस ऑफ़िसियल यानी एसपीओ था लेकिन बाद में वह आतंकी संगठन से जुड़ गया था। कहा गया था कि वह उस वक़्त इन आतंकवादियों के साथ दिल्ली की ओर आ रहा था। दविंदर सिंह बेहद संवेदनशील श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर तैनात था।
उप राज्यपाल का आदेश
इस साल मई में लोगों को तब जबरदस्त हैरानी हुई थी जब जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस पूर्व पुलिस अफ़सर के ख़िलाफ़ चल रही जांच को बंद कर दिया था। लेकिन जुलाई के अंत में जब उप राज्यपाल के इस आदेश की कॉपी सामने आई तो जांच बंद करने के पीछे जो कारण बताया गया है, उससे लोग अवाक रह गए।
इस आदेश में लिखा गया है कि राज्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उप राज्यपाल सिन्हा इस बात से संतुष्ट हैं कि दविंदर सिंह के मामले में जांच से कोई फ़ायदा नहीं होगा।
सामान्य प्रशासन विभाग के आयुक्त/सचिव ने उप राज्यपाल सिन्हा की ओर से यह आदेश जारी किया था। इसमें संविधान के अनुच्छेद 311 के खंड (2) के उप खंड (सी) का हवाला दिया गया था, जो यह कहता है, “अगर राष्ट्रपति या राज्यपाल, राज्य की सुरक्षा को देखते हुए संतुष्ट हैं तो ऐसी किसी जांच को आगे बढ़ाने की कोई ज़रूरत नहीं है।”
इसी आदेश में यह भी लिखा गया है कि इसलिए उप राज्यपाल ने दविंदर सिंह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर में अभी कोई निर्वाचित सरकार नहीं है और वह केंद्र शासित प्रदेश है। देश की ही तरह वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा भी केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास है, जिसके मुखिया अमित शाह हैं।
हिज़बुल की मदद की थी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले में 3,604 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। इसमें दविंदर सिंह पर आरोप लगाया था कि उसने आतंकवादी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन की मदद की थी। चार्जशीट में यह भी कहा गया था कि दविंदर सिंह नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में अपने एक हैंडलर के लगातार संपर्क में था, इसका नाम उसने अपने मोबाइल नंबर में पाकी भाई के नाम से सेव किया था।
दविंदर सिंह को जब जनवरी, 2020 में गिरफ़्तार किया गया था तो उसके तुंरत बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कहा था कि उन्हें इस बात की सूचना मिली थी कि दो आंतकवादी एक कार में जम्मू की ओर आ रहे हैं।
गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने श्रीनगर और दक्षिणी कश्मीर में कई जगहों पर छापे मारे थे और दविंदर सिंह के घर से एके-47 राइफ़ल और दो पिस्तौल बरामद की थी। यह भी पता चला था कि दविंदर सिंह ने आर्मी के अपने आधिकारिक आवास पर आतंकवादियों को शरण दी थी।
1990 में बतौर सब-इंस्पेक्टर रिक्रूट हुए दविंदर सिंह पर नौकरी के दौरान जबरदस्ती वसूली के भी आरोप लगे थे और उसे कई बार निलंबित भी किया गया था। साल 2000 में श्रीनगर के रहने वाले 19 साल के युवा एजाज़ अहमद बज़ाज के अपहरण, प्रताड़ना और मौत के मामले में जिन चार पुलिस अफ़सरों पर आरोप लगे थे, उनमें दविंदर सिंह का भी नाम था।
कश्मीर टाइम्स के मुताबिक़, दविंदर सिंह को ‘टॉर्चर सिंह’ के नाम से भी जाना जाता था।
अफ़ज़ल गुरू की चिट्ठी
संसद पर हमले के मामले में दोषी पाए गए आतंकवादी अफ़ज़ल गुरू ने अपने वकील को लिखी एक चिट्ठी में कहा था कि दविंदर सिंह ने उसे घनघोर यातनाएं दी थीं। अफ़ज़ल गुरू ने कहा था कि दविंदर सिंह ने उससे एक पाकिस्तानी आतंकवादी को दिल्ली ले जाने, उसके लिए घर ढूंढने और एक गाड़ी खरीदने में मदद करने के लिए कहा था।
अफ़ज़ल गुरू की पत्नी तबस्सुम ने आरोप लगाया था कि दविंदर सिंह ने अफ़ज़ल को छोड़ने के लिए एक लाख रुपये की घूस मांगी थी और उन्होंने अपने गहने बेच कर उस पुलिस अफ़सर को पैसे दिए थे।
क्यों बंद कर दी जांच?
सवाल यह है कि हिज़बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ पकड़े गए एक पुलिस अफ़सर के ख़िलाफ़ जांच को क्यों बंद कर दिया गया। दविंदर सिंह के ख़िलाफ़ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुक़दमा चलाया जाना चाहिए था और दोषी पाए जाने पर देशद्रोह के जुर्म में कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन यहां तो उसके ख़िलाफ़ चल रही जांच को बंद कर दिया गया।
19 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि के किसान आंदोलन को लेकर तैयार टूलकिट की दो लाइनें एडिट करने पर इस कृत्य को देशद्रोह बताने वाली बीजेपी, हक़ मांगने वाली हर आवाज़ को देश के ख़िलाफ़ बताने वाली बीजेपी आतंकवादियों के मददगार दविंदर सिंह पर कार्रवाई करने के बजाए उसके ख़िलाफ़ हो रही जांच को बंद कर रही है, इससे पता चलता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर वह पूरी तरह खोखली है।
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