विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि भारत में कोरोना की स्थिति बेहद चिंताजनक है और कई राज्यों में संक्रमण, अस्पतालों की स्थिति और हो रही मौतों के मामले लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस घेब्रेयिसस ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना महामारी का दूसरा साल दुनिया के लिए पहले साल से ज़्यादा ख़तरनाक होगा।
घेब्रेयिसस ने कहा कि भारत में कोरोना को लेकर बने हालात पर उसकी नज़र है और उसने हज़ारों ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर्स, मास्क सहित बाक़ी चीजें भेजी हैं। उन्होंने उन सभी देशों को धन्यवाद दिया जो भारत की मदद कर रहे हैं।
भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर घातक साबित हुई है। सरकारों की लापरवाही और कोरोना को ख़त्म हो चुका मान लेने के कारण दूसरी लहर देश को भारी पड़ी और पिछले एक महीने में हज़ारों लोगों को जान गंवानी पड़ी और लाखों लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए।
घेब्रेयिसस ने कहा कि कोरोना के कारण दुनिया भर में अब तक 33 लाख से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की सप्लाई होना और लोगों की जान बचाना एक बड़ी चुनौती का काम है। उन्होंने कहा कि महामारी से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाना बेहद ज़रूरी है।
44 देशों में फैला भारतीय वैरिएंट
डब्ल्यूएचओ ने कुछ दिन पहले कहा था कि कोरोना वायरस का भारतीय वैरिएंट दुनिया के 44 देशों में फैल चुका है और लगभग हर भौगोलिक क्षेत्र में यह पहुंच चुका है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि बी.1.617 वैरिएंट छह क्षेत्रों के 44 देशों में पाया गया है। यह वैरिएंट इन देशों में लिए गए 4,500 नमूनों में पाया गया है।
कोरोना का बी.1.617 वैरिएंट सबसे पहले भारत में अक्टूबर, 2020 में पाया गया था। इसे दूसरे देशों में पाए जाने वाले तीन वैरिएंट के साथ एक सूची में डाल दिया गया था ताकि इन पर नज़र रखी जा सके और शोध किया जा सके। ये तीन वैरिएंट ब्रिटेन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका में पाए गए थे।
डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि भारत में कोरोना संक्रमण बढ़ने के कई कारण हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह सार्व कोव-2 के ज्यादा संक्रामक वेरिएंट्स का फैलना है। इस संगठन ने यह भी कहा था कि भारत में 'कई राजनीतिक और धार्मिक वजहों से भीड़ जुटी, सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो गई और इस कारण यहां कोरोना वायरस तेजी से फैला।
गांवों में पहुंचा संक्रमण
भारत में शहरों में तबाही मचाने के बाद जानलेवा कोरोना वायरस अब गांवों की ओर बढ़ चुका है। कई राज्यों के गांवों से आ रही ख़बरें बेहद चिंताजनक तसवीर सामने रखती हैं। गांवों में टेस्टिंग, इलाज, आइसोलेशन की कोई सुविधा नहीं हैं और लगातार मौतें हो रही हैं।
उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब, हरियाणा से लेकर उत्तराखंड तक के गांवों में लोग खांसी-बुखार से बुरी तरह परेशान हैं और बेहतर इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। लेकिन जब शहरों में ही स्वास्थ्य इंतजाम बेहतर नहीं हैं तो फिर गांवों में तो लोगों को लगभग उनके हालात पर ही छोड़ दिया गया है।
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