नरेंद्र मोदी सरकार ने सवर्ण समेत आर्थिक रूप से पिछड़े सभी समुदायों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव कर इस मामले में एक नया मोड़ ला दिया है। इसमे वे सभी लोग आ जाएंगे जिन्हें आरक्षण नहीं मिला है। चुनाव के ठीक पहले इस क़दम से उन तमाम समुदायों को सरकार संकेत देना चाहती है जो आरक्षण की माँग करते आए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग समुदायों के लोग आरक्षण की माँग लंबे समय से करते आए हैं, कुछ कामयाब हुए हैं, कुछ नहीं हुए हैं। सरकार उन सभी को कह सकती है कि उनकी बात मान ली गई है। आरक्षण के बाहर छूट गए लोग इससे खुश होंगे, पर वे ज़रूर नाराज़ होंगे जिन्हें इसका फ़ायदा मिल रहा है क्योंकि नए लोग उनके हिस्से में ही भागेदारी करेंगे। एक नज़र डालते हैं, बीते कुछ सालों में हुए आरक्षण आंदोलनों पर।