loader

गेहूं, चावल, प्याज कारोबारी सरकार के निर्यात प्रतिबंध से खुश क्यों नहीं

देश में गेहूं और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और अन्य पाबंदियों ने कारोबार को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। रही सही कसर प्याज पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लागू करने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कुल मिलाकर गेहूं, चावल, प्याज पर तमाम पाबंदियों का कारोबारी विरोध कर रहे हैं। सरकार ने दो दिन पहले प्याज की बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए उस पर 40% निर्यात शुल्क (एक्सपोर्ट ड्यूटी) लगाई है। निर्यातक इसके विरोध में खुल कर आ गए हैं। नासिक में सोमवार को विरोध में थोक मंडी बंद रही।

इकोनॉमिक टाइम्स की मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट में देश के सबसे बड़े गेहूं निर्यातक आईटीसी के हवाले से कहा गया है कि "अप्रैल-जून तिमाही में गेहूं और चावल पर निर्यात प्रतिबंधों की वजह से कृषि कारोबार को झटका लगा।" उसने कहा कि "इन प्रतिबंधों की वजह से कारोबार के अवसर कम हो गए हैं और तिमाही के दौरान राजस्व पर असर पड़ा है।" भारत ने पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
ताजा ख़बरें
रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र सरकार ने गेहूं, चावल की तरह शनिवार को प्याज की खुदरा कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए 40% का निर्यात शुल्क लगाया, जो पिछले दो महीनों में चार गुना बढ़ गया है। इस संबंध में जारी अधिसूचना में किसी भी न्यूनतम मूल्य का उल्लेख नहीं किया गया था। इस पर कारोबारियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि इससे कुछ पोर्ट वालों और उनके स्टेकहोल्डर्स को अनुचित लाभ मिल सकता है। इसलिए न्यूनतम मूल्य तय करके ही इसे लागू किया जाए।

हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एचपीईए) के अध्यक्ष अजीत शाह ने सरकार को लिखे एक पत्र में कहा- बंदरगाहों पर प्याज पर निर्यात शुल्क की गणना के लिए न्यूनतम मूल्य तय करना जरूरी है। हमें डर है कि विभिन्न बंदरगाहों पर प्याज पर निर्यात शुल्क की गणना के लिए विचार किए जा रहे न्यूनतम मूल्य में असमानता हो सकती है।"

असली चिन्ता यहां है

तमाम कारोबारियों ने कहा कि घरेलू खाद्य कीमतों को नियंत्रित करने के सरकार के प्रयासों के तहत गेहूं, चावल और अब प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध सरकार की राजस्व हानि और कारोबारियों के लिए धंधा चौपट होने की वजह बन रहा है। उनके पास इन्वेंट्री का ढेर लगा हुआ है।

गैर-बासमती चावल निर्यातकों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो कारोबारियों ने कहा कि उन्हें बंदरगाहों पर बिना बिके स्टॉक से निपटना पड़ रहा है। क्योंकि 20 जुलाई को सरकार ने बहुत अल्प सूचना पर गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि सरकार ने अब जाकर साफ किया कि अर्ध-मिल्ड, पूर्ण मिल्ड, पॉलिश और चमकदार किस्मों के लिए गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात प्रतिबंध पर "अपवाद" होंगे।

देश से और खबरें
यह प्रतिबंध पिछले अक्टूबर से गैर-बासमती चावल की कीमतों में 30% से अधिक की वृद्धि के बाद आया था, जब भारत ने टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20% का टैरिफ लगाया था।
इस बीच, देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक क्षेत्र नासिक में प्याज व्यापारियों ने प्याज पर निर्यात शुल्क के विरोध में सोमवार को बाजार बंद रखा। मुंबई एपीएमसी के निदेशक जयदत्त होल्कर ने कहा, "प्याज किसानों को पिछले पूरे साल कम कीमतों के कारण घाटा उठाना पड़ा। उनमें से कई को अभी तक वह सब्सिडी वाला पैसा नहीं मिला है जो सरकार ने उनके नुकसान की भरपाई के लिए घोषित किया था।"
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें