पंजाब के लिए राजधानी चंडीगढ़ और सतलुज यमुना लिंक नहर का पानी इमोशनल मुद्दे रहे हैं। अकालियों ने इन दोनों मुद्दों पर कई बार चुनाव जीते हैं। लेकिन अब चंडीगढ़ के मुद्दे पर राजनीति फिर शुरू हो गई है। दरअसल, इसकी शुरुआत कुछ इस तरह हुई। पंजाब में जैसे ही आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, अगले ही दिन गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा कर दी कि चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के सभी कर्मचारी-अधिकारी अब केंद्र सरकार की सेवा नियमों के तहत आएंगे। पहले इन कर्मचारियों-अधिकारियों पर पंजाब सर्विस रूल लागू होता था। चंडीगढ़ वाकई में बाबुओं (नौकरशाहों) या रिटायर्ड फौजी अफसरों का शहर है।
क्या है चंडीगढ़ का मुद्दा, इस पर राजनीति क्यों
- देश
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- 29 Mar, 2025
पंजाब ने चंडीगढ़ पर अपना फिर से दावा जताते हुए विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। आखिर ये मुद्दा क्या है, जानिए।

आम आदमी पार्टी को केंद्र सरकार की यह रणनीति जब तक समझ में आती, देर हो चुकी थी। इसलिए पंजाब सरकार ने फौरन चंडीगढ़ पर दावा ठोंक दिया और कहा कि चंडीगढ़ पर पंजाब का हक है। हरियाणा के बनने के समय से ही राजधानी चंडीगढ़ के हक का मसला लटका हुआ। है। आम आदमी पार्टी की ताजा रणनीती जबरदस्त है। राजधानी का मुद्दा हल होने के बाद चंडीगढ़ का केंद्र शासित राज्य का दर्जा छिन सकता है और वहां के कर्मचारियों-अधिकारियों पर पंजाब सर्विस रूल लागू हो जाएगा। यह मुद्दा देर-सवेर कोर्ट में भी जा सकता है।
केंद्र ने एक और भी काम रणनीतिक किया। उसने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में होने वाली नियुक्तियों के नियमों में बदलाव कर दिया। इस बोर्ड में अब भर्तियों को भी केंद्र ने अपने हाथ में लिया। जबकि पहले इनमें सिर्फ पंजाब और हरियाणा से नियुक्तियां होती थीं। भाखड़ा और ब्यास के पानी की ही लड़ाई तो चल रही है। दोनों राज्यों के अधिकारी उसके बोर्ड में होने से संतुलन बना रहता है और किसी एक राज्य के पक्ष में बोर्ड के फैसले नहीं हो पाते। लेकिन अब केंद्र ने इसमें भी दखल दे दिया है।
केंद्र ने एक और भी काम रणनीतिक किया। उसने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में होने वाली नियुक्तियों के नियमों में बदलाव कर दिया। इस बोर्ड में अब भर्तियों को भी केंद्र ने अपने हाथ में लिया। जबकि पहले इनमें सिर्फ पंजाब और हरियाणा से नियुक्तियां होती थीं। भाखड़ा और ब्यास के पानी की ही लड़ाई तो चल रही है। दोनों राज्यों के अधिकारी उसके बोर्ड में होने से संतुलन बना रहता है और किसी एक राज्य के पक्ष में बोर्ड के फैसले नहीं हो पाते। लेकिन अब केंद्र ने इसमें भी दखल दे दिया है।