कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान 75 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के बाद हुई मारपीट की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। यह कहना है मृतक बुजुर्ग के परिजनों का। बता दें कि इस मारपीट में दो डॉक्टर घायल हो गए थे, जिनमें से एक की हालत गंभीर है। हमले के विरोध में डॉक्टरों ने हड़ताल शुरू कर दी। बुजुर्ग का नाम मोहम्मद सईद था।
मोहम्मद सईद के परिजनों ने आरोप लगाया है कि इस घटना के बाद उनके कुछ पड़ोसियों को गिरफ़्तार कर लिया गया जबकि उन पर हमला करने वाले डॉक्टरों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं गई। सईद के पोते तैयब हुसैन ने कहा कि हमारे परिवार का एक सदस्य चला गया। डॉक्टरों ने भी हमें मारा और इस बात का पता सीसीटीवी फ़ुटेज से चल जाएगा। तैयब ने कहा कि देश के हर नागरिक को समान रूप से न्याय मिलना चाहिए। इस घटना में जो भी दोषी है, उसे सजा मिलनी चाहिए। चाहे वह हमारे पड़ोसी हों या डॉक्टर।
तैयब हुसैन ने कहा, ‘हमें उस डॉक्टर को चोट लगने पर भी दु:ख है, जिन्हें शायद पत्थर से चोट लगी है। हम चाहते हैं कि वह जल्दी ठीक हो जाएँ। लेकिन हड़ताल को जल्द से जल्द समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि इससे हज़ारों लोगों को परेशानी हो रही है।’
बता दें कि मारपीट की इस घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों ने काम करना बंद कर दिया और इसमें उन्हें सीनियर डॉक्टरों का भी साथ मिला और धीरे-धीरे यह आंदोलन 13 राज्यों में फैल गया। मामले में अभी तक कुल 5 लोगों को गिरफ़्तार और उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। सईद के परिजनों ने भी इस मामले में एनआरएस हॉस्पिटल के डॉक्टरों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है। अंग्रेजी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में सईद के परिजनों से बातचीत की है।
तैयब ने अख़बार को बताया, ‘सीसीटीवी फ़ुटेज से सारी हक़ीक़त पता चल जाएगी। डॉक्टरों ने हम पर हमला किया और हम में कुछ लोगों को पीटा भी। यह एकतरफ़ से शुरू हुई लड़ाई नहीं थी। घर के सदस्य की मौत की वजह से हम भावुक हो गए थे। हम में से शायद किसी ने एक डॉक्टर का हाथ खींचा और उनसे मरीज को देखने के लिए कहा। डॉक्टर ने इसे बद्तमीजी मानते हुए हमसे सवाल पर सवाल करने शुरू कर दिए।’
तैयब ने कहा, ‘मैंने एक पुलिसकर्मी की मौजूदगी में दो बार इसके लिए माफ़ी भी माँगी। लेकिन डॉक्टरों ने हमें माफ़ करने से मना कर दिया। उन्होंने हमें दादाजी की लाश को भी हॉस्पिटल से बाहर नहीं ले जाने दिया। वे हॉकी की स्टिक्स और बाँस की लकड़ियों से लैस थे। यह सब कुछ पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुआ।’
सईद के बेटे मोहम्मद शब्बीर ने कहा, ‘हम इस बात से सहमत हैं कि हॉस्पिटल में काम करने वाले सुरक्षाकर्मियों के पास हथियार होने चाहिए। लेकिन प्रशासन को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि डॉक्टर मरीजों के साथ ठीक ढंग से व्यवहार कर रहे हैं या नहीं। उन्हें इस बात को समझना चाहिए कि जब किसी के घर में किसी की मौत हो जाती है तो उसके परिवार के लोगों को कैसा लगता है।’
शब्बीर ने कहा, ‘आख़िर इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश क्यों की जा रही है। बीजेपी का एक वर्ग एक समुदाय को निशाना क्यों बना रहा है? वे लोग हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दीवार खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं। यह ग़लत है और हम इसकी निंदा करते हैं।’
सईद के परिजनों ने यह भी दावा किया कि सईद रविवार को ही बेहोश हो गए थे और उसी दिन उन्हें एनआरएस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। परिजनों ने कहा कि सईद ठीक भी होने लगे थे। उनके मुताबिक़, सोमवार शाम 5 बजे उन्हें एक डॉक्टर का फ़ोन आया और उसने उनसे जल्द ही हॉस्पिटल आने के लिए कहा।
तैयब ने कहा, ‘मरीज को दिए जाने वाले एक इंजेक्शन का इंतजाम करने में डॉक्टरों को 40 मिनट का समय लग गया। मेरे दादाजी हाँफ रहे थे। तभी हम में से एक ने डॉक्टर का हाथ खींचा और उन्हें इलाज करने के लिए कहा। जब हम एक सीनियर डॉक्टर के पास गए तो उन्होंने हमें अपने चैंबर से बाहर जाने के लिए कह दिया। तब तक दादाजी की मौत हो चुकी थी। लेकिन उसके बाद डॉक्टरों ने शव देने से मना कर दिया। डॉक्टरों ने हमसे कहा कि उस आदमी को लेकर आओ जिसने हाथ खींचा था। इस पर हमने उन्हें बताया कि हम उसे नहीं जानते।’
तैयब ने अख़बार को बताया, ‘उस दिन रात को 9.40 मिनट पर हमें शव दिया गया जबकि दादाजी की मौत शाम को 5.40 पर हो गई थी। इसके बाद सभी डॉक्टर हॉकी की स्टिक्स और बाँस की छड़ी के साथ इकट्ठे हो गए और हमारा पीछा करना शुरू कर दिया। आधी रात को झगड़ा बढ़ गया। उन्होंने हमारे साथियों को पीटा और पुलिस ने हम पर लाठीचार्ज किया। तब हम हॉस्पिटल से बाहर चले गए।’
अख़बार की ओर से यह पूछने पर कि हॉस्पिटल के बाहर इतने सारे युवक कैसे इकट्ठे हो गए तो तैयब ने कहा कि जिनकी मौत हुई वह स्थानीय मसजिद के इमाम के पिता थे। इसलिए हमारे पड़ोस से भी सैकड़ों लोग उनके अंतिम क्रियाकर्म में शामिल होने के लिए आ गए थे। तैयब ने कहा कि यह सामान्य सी बात है और इस बारे में आप पुलिसवालों से पूछ सकते हैं या सीसीटीवी फ़ुटेज की जाँच कर सकते हैं।
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