हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गौतम अडानी से भी ज़्यादा बार जिन विनोद अडानी का नाम आया था, अब वह फिर से चर्चा में हैं। वह उन भारतीय उद्योगपतियों में से हैं जिन्होंने साइप्रस में 'गोल्डन पासपोर्ट' हासिल किया था। यह साइप्रस में दुनिया भर के अमीरों को निवेश को बढ़ावा देने की एक योजना थी। यह योजना भारतीय धनाड्यों की पसंदीदा थी। यानी ऐसी जगह जहाँ हजारों करोड़ रुपये निवेश करने पर कई तरह की जाँच-पड़ताल से तो छूट थी ही, उनको साइप्रस की नागरिकता भी दी जाती थी।
फ्लोटिंग ऑफशोर कंपनियों के लिए साइप्रस अमीर भारतीयों और एनआरआई की भी पसंदीदा है। यह जगह उन लोगों की भी पसंदीदा है जो कई देशों में आपराधिक आरोपों और मनी-लॉन्ड्रिंग मामलों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए इसकी नागरिकता हासिल करना चाहते हैं।
2007 में शुरू की गई गोल्डन पासपोर्ट योजना को साइप्रस में निवेश को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। इसने आर्थिक रूप से प्रतिष्ठित व्यक्तियों को साइप्रस की नागरिकता देने की सुविधा दी, जिससे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार साइप्रस सरकार द्वारा 2022 के ऑडिट से पता चला कि कुल 7,327 व्यक्तियों को साइप्रस पासपोर्ट के लिए मंजूरी दी गई थी, जिनमें से 3,517 निवेशक थे और बाकी उनके परिवारों के सदस्य थे। 2020 में इसे आख़िरकार तब बंद कर दिया गया जब इस पर कथित दुरुपयोग और आपराधिक आरोपों, संदिग्ध चरित्र वाले लोगों के नाम सामने आए।
द इंडियन एक्सप्रेस ने अब इस पर एक रिपोर्ट छापी है जिसमें कहा गया है कि 66 भारतीयों ने साइप्रस के गोल्डन पासपोर्ट को हासिल किया। इनमें पंकज ओसवाल, रियल एस्टेट कारोबारी सुरेंद्र हीरानंदानी और गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का भी नाम है।
विनोद अडानी एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स के मालिक हैं। ज़ी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में अडानी समूह ने एक चैनल को बताया था कि एंडेवर ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट लिमिटेड उनका ही है जिसने एसीसी लिमिटेड और अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया। अडानी ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा कि इस बात का खुलासा उनके द्वारा सार्वजनिक पेश किए गए दस्तावेज में किया गया था।
विनोद अडानी की उम्र करीब 74 साल के करीब है। बताया जाता है कि वह दुबई में रहकर बिजनेस कर रहे हैं। विनोद अडानी को सबसे अमीर एनआरआई में से एक बताया जाता है। वह 1990 के दशक की शुरुआत से दुबई में हैं लेकिन उनके पास साइप्रस का पासपोर्ट है। ओसीसीआरपी डेटा उन्हें रिकॉर्ड में एक निवेशक के रूप में सूचीबद्ध दिखाता है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने 3 अगस्त 2016 को गोल्डन पासपोर्ट योजना के लिए आवेदन किया था। बमुश्किल तीन महीने में 25 नवंबर 2016 को, उनके आवेदन को मंजूरी दे दी गई और साइप्रस की नागरिकता दी गई।
पनामा पेपर्स में भी नाम
विनोद अडानी का नाम पहले इंडियन एक्सप्रेस-आईसीआईजे की ऑफशोर जांच में सामने आया था। सबसे पहले 1994 में बहामास में जीए इंटरनेशनल इंक नामक कंपनी की स्थापना के लिए 2016 के पनामा पेपर्स में उनका नाम आया था।
द इंडियन एक्सप्रेस ने पनामा पेपर्स का खुलासा किया था। इसमें 500 से भी ज़्यादा भारतीयों के नाम थे। यह पनामा लॉ फर्म की सूची पर आधारित थी जिसमें भारतीयों ने टैक्स हेवेन में ऑफशोर कंपनियाँ बनाई थीं। ऐसा तब था जब भारत में क़ानूनी रूप से उनको ऐसी ऑफशोर कंपनियाँ बनाने की इजाज़त नहीं थी।
पनामा पेपर्स ने करीब 2 लाख विदेशी कंपनियों के बारे में कई तरह के खुलासे किए थे। विनोद अडानी ने जनवरी 1994 में बहामास में एक कंपनी बनाई थी, जिसे लेकर उनका नाम पनामा पेपर्स में आया था। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक उस कंपनी को बनाने के करीब दो महीने बाद उन्होंने कंपनी के दस्तावेजों में अपना नाम विनोद शांतिलाल अडानी से बदल कर विनोद शांतिलाल शाह कर लिया था।
पैंडोरा पेपर्स में भी नाम
2021 के पैंडोरा पेपर्स में विनोद अडानी का नाम आया था। तब पैंडोरा पेपर्स ने भारत सहित पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स कंपनी, हिबिस्कस आरई होल्डिंग्स लिमिटेड को शामिल करने के लिए नामित किया गया था। विनोद अडानी का नाम भी पैंडोरा पेपर्स की लिस्ट में आया था। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने खुलासा किया था कि इन्होंने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में कपनियां खोलीं और इसमें करोड़ों रुपए का लेन-देन भी हुआ।
बहरहाल, अब साइप्रस के गोल्डन पासपोर्ट में नाम आने के मामले में द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा विनोद अडानी को भेजे गए सवालों के रिमाइंडर के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला है।
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