बॉम्बे हाई कोर्ट में वरिष्ठता में दूसरे नंबर के न्यायाधीश सत्यरंजन धर्माधिकारी ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। उनके इस्तीफ़े को लेकर अदालतों से जुड़े लोगों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। अपने इस्तीफ़े की जानकारी न्यायाधीश ने सबसे पहले एक अधिवक्ता के सामने जाहिर की जो उनसे एक मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख़ लेने पहुंचे थे। जस्टिस धर्माधिकारी पिछले कुछ समय से कॉमरेड गोविंद पानसरे और अंधश्रद्धा निर्मूलन संस्था के संस्थापक डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में सीबीआई और एसआईटी द्वारा जांच की धीमी गति पर पर नाराजगी व्यक्त करते रहे हैं।
जस्टिस धर्माधिकारी का यह इस्तीफ़ा चौंकाने वाला क़दम है क्योंकि वह बॉम्बे हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे। बॉम्बे हाई कोर्ट में शुक्रवार को उनके सामने पेश हुए एक वकील मैथ्यूज नेदुम्परा से उन्होंने कहा कि वह अपना पद छोड़ चुके हैं और उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया है। मैथ्यूज नेदुम्परा ने कहा कि वह शुक्रवार सुबह न्यायमूर्ति धर्माधिकारी के समक्ष एक मामले का उल्लेख कर रहे थे लेकिन उन्होंने कहा, ‘मैं आपको कोई राहत नहीं दे सकता क्योंकि आज मेरा आख़िरी दिन है’। नेदुम्परा ने पूछा कि क्या आपका पद बढ़ाया जा रहा है? इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं अपना कार्यालय छोड़ रहा हूं।’
इस ख़बर के बाद अदालत परिसर में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। कुछ ही देर में न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने अपने कक्ष में पत्रकारों को अपने इस फ़ैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफ़ा पारिवारिक कारणों और विशुद्ध रूप से व्यक्तिगत है। जब उनसे उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस पद को लेकर चर्चा 2019 में शुरू हो गयी थी।
इस्तीफ़े को लेकर हैरानी
बताया जाता है कि धर्माधिकारी उड़ीसा जाने के अनिच्छुक थे। उनका 2 साल का सेवाकाल शेष है। वर्तमान में बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग का कार्यकाल 24 फ़रवरी, 2020 को समाप्त होने वाला है। ऐसे में चर्चाएं जोरों पर थीं कि क्या धर्माधिकारी को पदोन्नति मिलेगी या उन्हें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी मिलेगी। लेकिन इन्हीं चर्चाओं के बीच उनका इस्तीफ़ा आना सभी को हैरान कर रहा है।
धर्माधिकारी के पिता दिवंगत चंद्रशेखर धर्माधिकारी मुख्य न्यायाधीश रहे थे। न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने जून, 1983 में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था। उन्हें 14 नवंबर, 2003 को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उन्होंने राज्य सरकारों के अधिकारियों के ख़िलाफ़ कई सख़्त फ़ैसले दिये थे।
हाल ही में उन्होंने आदिवासी विभाग के प्रधान सचिव के ख़िलाफ़ एक घोटाले के मामले में कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने अनुसूचित जनजाति के लोगों के कल्याण के लिए आवंटित धन को ग़लत तरीक़े से आवंटित करने वाले 123 अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करने पर यह टिप्पणी की थी। ऐसे में इन चर्चाओं का भी जोर है कि क्या सरकार के ख़िलाफ़ कडे रुख के कारण तो उनकी पदोन्नति बॉम्बे हाईकोर्ट में करने की बजाय उन्हें उड़ीसा स्थान्तरित किया जा रहा था जो उन्हें पसंद नहीं था और यह इस्तीफ़े का कारण बना?
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