अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चिंता जताते हुए भारत से कहा है कि वह राज्य में लगी पाबंदियाँ हटाए, इंटरनेट बहाल करे, गिरफ़्तार और नज़रबंद नेताओं को रिहा करे और राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करे। लेकिन इसके साथ ही अमेरिका ने यह भी कहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की मुख्य वजह पाक-स्थित आतंकवादी गुट हैं और जब तक पाकिस्तान उन पर क़ाबू नहीं करता है, दोनों देशों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हो सकते।
मंगलवार देर रात तक अमेरिकी कांग्रेस में विदेश मंत्रालय की उपसमिति की सुनवाई चलती रही। इसमें कांग्रेस के डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन सदस्यों ने शिरकत की। अमेरिका की कार्यवाहक उपसचिव (दक्षिण व मध्य एशिया) एलिस वेल्स उपसमिति के सामने पेश हुईं और उनके सवालों के जवाब दिए।
वेल्स ने कहा कि अमेरिका कश्मीर के 80 लाख लोगों के रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के प्रभावित होने, उन पर पाबंदियाँ लगने और संचार पर लगी रोक से चिंतित है। उन्होंने उपसमिति को यह भी बताया कि अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्रियों समेत कई नेताओं की गिरफ़्तारी पर चिंता जताते हुए उनकी रिहाई करने की माँग भारत से की है। इसके साथ ही भारत से यह भी कहा गया है कि वह राज्य में मानवाधिकारों का सम्मान करे।
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य इलहान उमर और प्रमिला जयपाल ने अमेरिकी लोकतंत्र व मानवाधिकार कार्यालय में उपसचिव रॉबर्ट डेस्ट्रो से तीखे सवाल पूछे। डेस्ट्रो ने भी उन्हें राज्य में लगी पाबंदियों की जानकारी दी और उस पर चिंता जताई।
अमेरिका की कार्यवाहक उपसचिव एलिस वेल्स ने कहा कि 'दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर करने और तनाव कम करने का एक ही रास्ता है और वह है दोनों के बीच हुए शिमला समझौते के तहत दोतरफा बातचीत।'
उन्होंने इसके साथ ही पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी गुटों की गतिविधियों पर भी चिंता जताई और कहा कि 'जब तक इसलामाबाद उन पर रोक नहीं लगाता, रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते।'
उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से अपील की कि वह उन आतंकवादी गुटों और सत्ता प्रतिष्ठान से बाहर के लोगों (नॉन स्टेट एक्टर्स) पर अंकुश लगाए जो सीमा पार भारत में आतंकवादी हमले करते रहते हैं।
कार्यकारी उपसचिव ने पाकिस्तानी आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद का नाम लेकर कहा कि वे नियंत्रण रेखा पार कर आतंकवाादी कार्रवाइयों को अंजाम देते हैं। इसके लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार है।
अमेरिकी कांग्रेस की समिति की यह सुनवाई भारत के लिए कई मामलों में अहम है। इस सुनवाई से यह साफ़ हो गया है कि वाशिंगटन आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ है। वह यह मानता है कि कश्मीर की समस्या आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाए बग़ैर नहीं सुलझ सकती। उसने एक बार फिर पाकिस्तान को इसके लिए ज़िम्मेदार माना है। इसके साथ ही यह साफ़ है कि अमेरिका अनुच्छेद 370 में हुए बदलाव को भारत का आंतरिक मामला मानता है। लेकिन इसके साथ ही वह यह भी चाहता है कि पाबंदियाँ हटें और स्थिति सामान्य हो।
इस सुनवाई को एक तरह से भारत के पक्ष में कहा जा सकता है।
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