मोदी सरकार जिस तरह से उज्ज्वला गैस योजना को क्रांतिकारी और सफल बताती रही है, क्या यह उतनी ही ज़्यादा विफल साबित नहीं हुई है? उज्ज्वला योजना का लाभ लेने वाले 90 फ़ीसदी परिवार अभी भी खाना पकाने के लिए लकड़ी और गोबर के उपलों जैसे परंपरागत साधन का उपयोग कर रहे हैं। यह आँकड़ा एक ग़ैर-लाभकारी संगठन की रिसर्च रिपोर्ट में आया है। क्या यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री मोदी के उन दावों के उलट नहीं है जिसमें वह क़रीब-क़रीब हर सार्वजनिक मंच से कहते हैं कि उनकी सरकार ने गाँवों में ग़रीब महिलाओं को धुएँ से निजात दिला दी है?