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यूजीसी RSS नेता का कार्यक्रम करने को कॉलेज, यूनिवर्सिटियों से क्यों कह रही है?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने महाराष्ट्र में विश्वविद्यालयों और कॉलेज प्रिंसिपलों को पत्र लिखकर छात्रों को आरएसएस नेता और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संस्थापक सदस्य दत्ताजी डिडोलकर के जन्म शताब्दी वर्ष का जश्न मनाने के लिए कार्यक्रमों में भाग लेने को कहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूजीसी ने इस संबंध में 21 नवंबर को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहागया है, “स्वर्गीय दत्ताजी डिडोलकर भारत के हजारों छात्रों और युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। वह कई सामाजिक और अन्य संगठनों के संस्थापक थे। यह वर्ष उनका जन्मशताब्दी वर्ष है।'' पत्र में लिखा गया है कि 7 अगस्त 2024 तक श्रद्धेय दत्ताजी डिडोलकर के जन्म शताब्दी वर्ष को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है। महाराष्ट्र राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों से अनुरोध है कि वे युवाओं और छात्रों को कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
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यूजीसी के पत्र में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पत्र का जिक्र है। गडकरी ने वो पत्र केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को लिखा है। अपने पत्र में, गडकरी ने कहा कि युवाओं के लिए डिडोलकर के योगदान को याद करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और उन पर एक स्मारिका पुस्तिका प्रकाशित की जा रही है। 
शिव सेना (यूबीटी) की युवा शाखा युवा सेना ने यूजीसी के पत्र पर आपत्ति जताई। युवा सेना के पूर्व मुंबई विश्वविद्यालय सीनेट सदस्य, प्रदीप सावंत ने कहा कि युवा सेना को इस बात पर आपत्ति है कि उच्च शिक्षा की सर्वोच्च नियामक संस्था यूजीसी ने ऐसा पत्र जारी किया है।
पत्र को वापस लेने का आग्रह करते हुए सावंत ने कहा, 'हम जन्म शताब्दी समारोह मनाने के खिलाफ नहीं हैं... लेकिन यह राजनीतिक दल और आरएसएस को अपने फंड से करना चाहिए। इसे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों पर नहीं थोपा जाना चाहिए।' जब कार्यक्रम नागपुर में होने वाला है, तो फिर महाराष्ट्र के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को पत्र क्यों जारी किए गए हैं?”
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इस पर एबीवीपी कोंकण क्षेत्र के प्रमुख अमित धोमसे ने कहा, “दत्ताजी डिडोलकर ने सामाजिक और शिक्षा क्षेत्र में महान योगदान दिया है। वह विवेकानन्द स्मारक के निर्माण के संघर्ष में सबसे आगे थे। ऐसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का जन्म शताब्दी वर्ष मनाना हमारी संस्कृति रही है। युवा सेना को राजनीति को बीच में लाए बिना डिडोलकर के शैक्षिक और सामाजिक योगदान का अध्ययन करना चाहिए।'
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क़मर वहीद नक़वी
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