ठाकरे ने कहा, 'यदि एनआरसी लागू हुआ तो मुसलमानों ही नहीं, हिन्दुओं, दलितों, आदिवासियों और दूसरे लोगों को दिक्क़तें होंगी। एनपीआर एक तरह की जनगणना है, मैं इसका फ़ॉर्म ख़ुद देखूंगा।'
'डरने की ज़रूरत नहीं'
शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून का समर्थन किया था, लेकिन राज्यसभा में इस पर मतदान के दौरान उसने वॉकआउट कर दिया।पश्चिम बंगाल
इसके पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने दो टूक कहा था कि वह एनपीआर लागू नहीं करेंगी। उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून का भी विरोध किया था, उनके सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ सदन के दोनों सदनों में मतदान किया था।पश्चिम बंगाल सरकार ने सीएए का विरोध करता हुआ एक प्रस्ताव राज्य विधानसभा में पेश कर उसे पारित करवाया था। वहाँ के विपक्षी दल कांग्रेस और सीपीआईएम ने भी इसका समर्थन किया था।
केरल
भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की अगुाआई वाली केरल सरकार ने भी राज्य विधानसभा में इसी तरह का एक प्रस्ताव पारित कराया था। इस तरह का प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य केरल ही था।राजस्थान
कांग्रेस भी नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ है। कांग्रेस की मध्य प्रदेश सरकार और राजस्थान सरकार ने भी साफ़ शब्दों में कह दिया कि वे सीएए के ख़िलाफ़ हैं। इन दोनों विधानसभाओं ने सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव भी पारित करवाया है।असम अकेला राज्य है, जहाँ एनआरसी लागू हुआ। उसके बाद ही गृह मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक तौर पर कई बार कहा कि पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा। लेकिन बाद में वह मुकर गए। इसकी वजह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक सार्वजनिक सभा में कहा कि एनआरसी पूरे देश में न है और न ही ऐसी कोई योजना फिलहाल है।
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