नए डिजिटल नियमों के पालन को लेकर केंद्र सरकार से आमना-सामना करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर को मिली क़ानूनी सुरक्षा ख़त्म हो गई है। कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने ट्विटर को नए डिजिटल नियमों के पालन को लेकर ‘अंतिम नोटिस’ भेजा था और कहा था कि अगर ट्विटर सरकार के नियमों को नहीं मानता है तो वह नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे।
इसका मतलब यह हुआ कि ट्विटर को मध्यस्थता के तौर पर मिली सुरक्षा ख़त्म हो गई है और अब उस पर भारत के वही क़ानून लागू होंगे जो किसी भी दूसरे पब्लिशर पर लागू होते हैं।
क़ानूनी सुरक्षा हटते ही ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने लोनी में एक मुसलिम बुजुर्ग शख़्स के साथ मारपीट और उनकी दाढ़ी काटने के मामले में ट्विटर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने यह एफ़आईआर दंगा भड़काने, नफ़रत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को जबरन भड़काने व अन्य धाराओं के तहत दर्ज की है। यह एफ़आईआर मंगलवार रात को दर्ज की गई है।
‘अंतिम नोटिस’ में कहा गया था, “ट्विटर को यह अंतिम नोटिस दिया जा रहा है कि वह नए डिजिटल नियमों का तुरंत पालन करे। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे आईटी एक्ट, 2000 में धारा 79 के तहत मिलने वाली छूट वापस ले ली जाएगी और आईटी क़ानून और भारत सरकार के दंड नियमों के नियमों के मुताबिक़ ट्विटर ही नतीजों के लिए उत्तरदायी होगा।”
तीन महीने का दिया था वक़्त
केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर को नियुक्त करना होगा और हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। सरकार ने इन अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए तीन महीने का वक़्त दिया था जो 25 मई को ख़त्म हो गया था और उसके बाद से सरकार और ट्विटर के बीच खटपट जारी थी।
सरकार का कहना है कि जिन सोशल मीडिया कंपनियों के 50 लाख यूजर्स हैं, उन्हें भारत में रहने वाले और उनकी कंपनी में काम कर रहे शख़्स को ही इन पदों पर नियुक्त करना होगा।
कई कंपनियां तैयार
हाल ही में गूगल, फ़ेसबुक और वाट्सऐप ने नए सोशल मीडिया नियमों के मुताबिक़, तमाम पदों पर अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए सहमति दे दी थी लेकिन ट्विटर इसके लिए तैयार नहीं हुआ। ट्विटर ने हालांकि एक आउटसाइड कंसल्टेंट के नाम का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया था और कहा था कि यह उसकी गाइडलाइंस या नियमों के विपरीत है।
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