क्या भारत में अब सैकड़ों साल पुरानी और मिथकीय न्याय प्रणाली लागू की जाएगी? क्या अब मनु, चाणक्य व याज्ञवल्क्य के रास्ते पर चल कर न्याय दिया जाएगा? क्या नारद व बृहस्पति जैसे मिथकीय चरित्रों के बताए राह पर चल कर न्यायालय अपने फ़ैसले देंगे?