सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) के किसी सदस्य का "अपमान या धमकी" एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं है। ऐसे मामलों में पीड़ित का एससी-एसटी समुदाय से होना जरूरी है। अपने फैसले में, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह भी कहा कि अधिनियम की धारा 18 अदालतों को यह जांच करने की पावर पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाती है कि क्या प्रथम दृष्टया 1989 के अधिनियम के प्रावधानों को आकर्षित करने वाला मामला बनता है या नहीं।
एससी/एसटी लोगों की हर बेइज्जती एससी/एसटी कानून के तहत अपराध नहींः सुप्रीम कोर्ट
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- 29 Mar, 2025
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने वीडियो-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर "मरुनादन मलयाली" चैनल चलाने वाले यूट्यूबर शाजन स्करिया को अग्रिम जमानत देते हुए कई टिप्पणियां की हैं।
