सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बीजेपी से निलंबित नेता नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने निर्देश दिया कि नूपुर शर्मा के खिलाफ दर्ज एफआईआर व शिकायतों को लेकर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार व उन राज्यों को जहां पर नूपुर शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है उन्हें नोटिस भी जारी किया। यह नोटिस नूपुर शर्मा को मिल रही धमकियों के बाद उनकी सुरक्षा के संबंध में जारी किया गया है जिससे वह राहत के लिए उन राज्यों की हाई कोर्ट में जा सकें।
नूपुर के वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और उनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज 9 मामलों को क्लब करने का अनुरोध किया था। निलंबित बीजेपी नेता के खिलाफ पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र में एफआईआर दर्ज की गई हैं।
नूपुर शर्मा ने एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके बाद देश भर में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए थे।
सलमान चिश्ती के वीडियो का हवाला
मनिंदर सिंह ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान अजमेर दरगाह के खादिम सलमान चिश्ती के वायरल वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि उनकी मुवक्किल को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। उनके खिलाफ कुछ और एफआईआर दर्ज की गई हैं और कोलकाता पुलिस ने लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया है जिस वजह से उन्हें उनकी गिरफ्तारी का डर है। इस पर बेंच ने मनिंदर सिंह से कहा कि अदालत का ऐसा इरादा नहीं है कि मुवक्किल को सभी जगहों पर जाना पड़े।
जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या नूपुर शर्मा दिल्ली हाई कोर्ट जाना चाहेंगी इस पर मनिंदर सिंह ने हां में जवाब दिया।
नूपुर ने अपनी याचिका में पिछली बार भी इन धमकियों का जिक्र किया था लेकिन अदालत ने कहा था कि, “उन्हें धमकियां मिल रही हैं या वह खुद सुरक्षा के लिए खतरा बन गई हैं। देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है।”
पुलिस, टीवी चैनल को फटकार
अदालत ने कहा था कि हमने वह डिबेट देखी है कि उन्हें किस तरह उकसाया गया लेकिन जैसे उन्होंने यह सब कहा और बाद में यह भी कहा कि वह वकील हैं, यह बेहद शर्मनाक है और उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।
अदालत ने कड़ा रुख जारी रखते हुए कहा था, “क्या हुआ अगर वह किसी राजनीतिक दल की प्रवक्ता हैं, उन्हें लगता है कि उनके पास सत्ता की ताकत है और वह देश और कानून का सम्मान किए बिना कोई भी बयान दे सकती हैं।” अदालत ने कहा कि इससे उनके अहंकारी चरित्र का पता चलता है।
अदालत ने कहा था कि नूपुर शर्मा ने उनके बयान पर विवाद होने के बहुत देर बाद माफी मांगी और वह भी इस शर्त के साथ कि यदि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो वह माफी मांगती हैं।
अदालत ने कहा था कि किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल के प्रवक्ता होने की वजह से किसी को यह लाइसेंस नहीं मिल जाता कि वह इस तरह की बात कहे।
अदालत ने कहा था कि नूपुर शर्मा ने इस मामले में निचली अदालतों का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। इस याचिका में उनके अहंकार की बू आती है और देश के मजिस्ट्रेट उन्हें बहुत छोटे लगते हैं।
नूपुर शर्मा का समर्थन करने को लेकर उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल और महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या कर दी गई थी।
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