सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर चल रही सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए टाल दी है।अदालत की खंडपीठ ने वर्मा की याचिका को स्वीकार कर लिया था और मंगलवार को सुनवाई की तारीख़ तय की थी। खंडपीठ ने सुनवाई टालने की कोई वजह नहीं बताई, पर यह साफ़ हो गया कि वह जानकारी लीक होने से ख़फ़ा थी।
नरीमन की खिंचाई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस मामले में वर्मा और उनके वकील फ़ली नरीमन की जम कर खिंचाई की। इस मामले में वर्मा की कुछ बातें मीडिया में लीक हो गईं। गोगोई ने नरीमन से पूछा कि ये बातें लीक कैसे हुईं और इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है। नरीमन इस पर कोई साफ़ ज़वाब नहीं दे पाये। उन्होंने मीडिया पर ठीकरा फोड़ते हुए सिर्फ़ इतना कहा कि उसे ज़िम्मेदारी और गंभीरता से काम करना चाहिए। इस खंडपीठ में एसके कौल और केएम जोसफ़ भी हैं। जस्टिस गोगोई ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा, 'आप में से कोई सुनवाई के लायक नहीं हैं।'वर्मा ने ख़ुद को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में कहा था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने वर्मा को 'क्लीन चिट' नहीं दी थी, यानि उन्हें पूरी तरह पाक साफ़ नहीं माना था। खंडपीठ ने कहा था कि कुछ मामलों में वर्मा के बारे में 'अच्छी बातें कही गईं थीं, पर कुछ दूसरे मामलोें में उतनी अच्छी बात नहीं कही गई थी।' समझा जाता है कि अंग्रेज़ी वेबसाइट 'द वायर' में छपी खबर से सुप्रीम कोर्ट नाराज़ है। यह खबर आप
यहां पढ़ सकते हैं।
'द वायर' की सफ़ाई
लेकिेन इस वेबसाइट ने कुछ भी लीक करने से इनकार किया है। इसके प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्वीट कर कहा कि आलोक वर्मा ने सीवीसी रिपोर्ट के मामले में पहले जो कुछ कहा था, उस आधार पर ख़बर लिखी गई है। इसका अदालत को दी गई मुहरबंद लिफाफे से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने वह लिफाफा देखा ही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा से कहा था कि वे अपनी बातें मुहरबंद लिफाफे में अदालत को दें ताकि कोई दूसरा उसे न जान सके। लेकिन 'द वायर' में ख़बर छपने के बाद उसे लगा कि जानकारियां लीक कर दी गई हैं। हालांकि इस वेबसाइट ने अपनी सफ़ाई दे दी है, पर अदालत उससे कितना संतुष्ट है, यह अगली सुनवाई में ही पता चल पायेगा।
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