15 मार्च 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ ने माना था कि महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लाम की एक ‘आवश्यक धार्मिक प्रथा’(Essential Religious Practice) नहीं है। पीठ ने यह भी कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड का प्रावधान याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने कर्नाटक सरकार के 5 फरवरी, 2022 के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें मुसलिम छात्राओं को अपने कॉलेजों में हेडस्कार्फ़ पहनने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
कहीं हिजाब ही मुसलिम लड़कियों की शिक्षा का टिकट तो नहीं?
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- 17 Oct, 2022

कर्नाटक के हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया है। मुस्लिम समुदाय के लिए इस फैसले के क्या मायने हैं?
सर्वोच्च न्यायालय ने दस दिनों की लंबी सुनवाई के बाद कर्नाटक हिजाब मामले में अपना फैसला सितंबर माह में ही सुरक्षित कर लिया था।
13 अक्टूबर को इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया। दो सदस्यीय खंडपीठ के दोनों न्यायाधीशों ने इस मामले में अलग-अलग फैसला दिया है।