सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मणिपुर मामले की फिर सुनवाई हुई। इसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करने और विश्वास की भावना पैदा करने के लिए मणिपुर हिंसा मामलों के संबंध में आवश्यक निर्देश पारित करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मणिपुर में राहत कार्यों, पुनर्वास, मुआवजे और निगरानी के लिए हाईकोर्ट की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करेगा।
लाइव लॉ वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह समिति एक "व्यापक आधार वाली समिति" होगी जो राहत, उपचारात्मक उपाय, पुनर्वास उपाय, घरों और पूजा स्थलों की बहाली सहित मानवीय पहलुओं से जुड़ी चीजों को देखेगी। इस समिति की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल करेंगी। इस समिति में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शालिनी फंसलार जोशी, दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशा मेनन रहेंगी।
वहीं द हिंदू की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि वह हिंसा के दौरान दर्ज मामलों की समग्र जांच की निगरानी के लिए महाराष्ट्र कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दत्तात्रेय पडसलगीकर को नियुक्त करेगा, जो कि एनआईए, आईबी और नागालैंड में काम कर चुके हैं।
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मणिपुर सरकार 42 एसआईटी गठन करेगी
सुप्रीम कोर्ट में हुई इस सुनवाई में मणिपुर सरकार ने कहा कि वह उन मामलों की जांच के लिए 42 एसआईटी का गठन करेगी जो सीबीआई को हस्तांतरित नहीं किए गए हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि इन एसआईटी के लिए वह अन्य राज्य पुलिस बलों से कम से कम एक इंस्पेक्टर को शामिल करने का आदेश देगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह छह अन्य राज्यों के डीजीपी को छह एसआईटी के काम की निगरानी के लिए छह डीआइजी रैंक के अधिकारियों को नामित करने का निर्देश देगा।जांच के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने यौन हिंसा से संबंधित 11 एफआईआर केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने का फैसला किया है। कोर्ट इन मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर करने की इजाजत देगा। हालांकि, इसमें अन्य राज्यों से लिए गए एसपी नहीं तो कम से कम डीएसपी रैंक के 5 अधिकारी भी शामिल होंगे। कोर्ट ने कहा कि जांच पर विश्वास और इसकी निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ये अधिकारी सीबीआई के प्रशासनिक ढांचे के भीतर काम करेंगे।
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