क्या यह महज संयोग है कि सुप्रीम कोर्ट गठित कमेटी के चारों सदस्य कृषि क़ानूनों के पक्षधर हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के सदस्यों का चयन करते समय दूसरे पक्ष के लोगों को न सही, निष्पक्ष लोगों पर भी विचार नहीं किया। किसान आन्दोलन के नेताओं ने कमेटी को खारिज करने का मुख्य आधार सदस्यों का निष्पक्ष नहीं होना ही बनाया है। ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में वो लोग क्यों जो कृषि क़ानून के पक्षधर हैं?
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- 13 Jan, 2021

उच्चतम न्यायालय को कमेटी गठित की सलाह देने वालों ने थोड़ा सा भी उचित नहीं समझा कि कृषि क़ानून का विरोध कर रहे अर्थशास्त्रियों, किसानों, सेना के अधिकारियों व वरिष्ठ नौकरशाहों, कृषि संगठनों में से भी सदस्य शामिल कर लिया जाए।
कृषि क़ानून के घोर समर्थक
उच्चतम न्यायालय ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों व सरकार के बीच जारी गतिरोध ख़त्म करने के लिए 4 सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी को पहली बैठक के दो महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपनी है। इस कमेटी ने एक नया विवाद पैदा कर दिया है, जिसमें सभी सदस्य सरकार के कृषि क़ानून के घोर समर्थक रहे हैं।