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बिलकिस बानो और उनके पति का फाइल फोटो।

बिलकिस बानोः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वे नहीं चाहते कि हम इस मामले को सुनें

बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा - यह जाहिर है कि वे नहीं चाहते कि हम इस मामले को सुनें। 2002 की दंगा पीड़ित बिलकिस बानो की याचिका पर मंगलवार को अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी गई। यह याचिका गुजरात सरकार द्वारा गैंगरेप और हत्या के लिए उम्रकैद की सजा पाए 11 लोगों को रिहा करने के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के. एम. जोसेफ और बी. वी. नागरत्ना की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। दरअसल, कोर्ट इस बात पर नाराज नजर आई कि प्रतिवादी इस मामले को लटकाने के लिए तरह-तरह के रोड़े अटका रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस जोसेफ की टिप्पणी कुछ दोषियों के वकीलों द्वारा प्रक्रियात्मक (प्रोसेस संबंधी) मुद्दों को उठान पर आई। उन वकीलों ने कोर्ट में कहा कि मामले में अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है। वकीलों ने बिलकिस पर अदालत में "गंभीर धोखाधड़ी" करने का आरोप लगाया। 
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जस्टिस के.एम. जोसेफ ने कहा - "मुझे लगता है कि यह आपके लिए स्पष्ट होना चाहिए कि क्या हो रहा है ... मेरे लिए समस्या यह है कि मैं 16 जून को रिटायर हो रहा हूं ... यह स्पष्ट है कि वे नहीं चाहते कि हम इस मामले को सुनें ... यह स्पष्ट से अधिक है।"

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं पर अगली सुनवाई 9 मई को होगी, लेकिन केवल यह तय करने के लिए होगी कि हाउसकीपिंग की औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं या नहीं।अदालत ने कहा कि मामले की सुनवाई अवकाश के बाद हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट का ग्रीष्मकालीन अवकाश 20 मई से शुरू हो रहा है। 
इस बीच, गुजरात सरकार और केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि वो (बिलकिस) दोषियों की रिहाई से संबंधित रिकॉर्ड पर "विशेषाधिकार का दावा" नहीं कर रही हैं और न ही अदालत के आदेश की समीक्षा के लिए कोई याचिका दायर कर रही हैं। मेहता ने कहा- "मेरे पास रिकॉर्ड है। हम इसे अदालत को दिखाएंगे।”

मंगलवार को कुछ प्रतिवादियों के वकील ने तर्क दिया कि नोटिस की तामील के संबंध में बिलकिस की ओर से दायर हलफनामे में यह उल्लेख किया गया था कि दोषियों ने पंजीकृत डाक द्वारा भेजे गए कम्युनिकेशन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, इसलिए सेवा पूरी मानी गई थी। लेकिन वास्तव में, वकील ने कहा, दो प्रतिवादियों के मामले में सेवा पूरी नहीं की जा सकी क्योंकि वे शहर से बाहर थे। वकील ने कहा, 'पीड़ित की ओर से दाखिल हलफनामे में... गंभीर धोखाधड़ी की गई है।'

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जस्टिस जोसेफ की इस टिप्पणी कि "यह स्पष्ट है कि वे नहीं चाहते कि हम इस मामले को सुनें" पर याचिकाकर्ताओं के वकील ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की। बिलकिस बानो की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा- ”इंसाफ को इस तरह से बाधित नहीं होने देना चाहिए...एसजी को दूसरे पक्ष से बात करनी चाहिए और इस मामले को सुनने की अनुमति देनी चाहिए।”
बिलकिस की ओर से ही पेश वकील शोभा गुप्ता ने कहा- "वे इस मामले को कभी भी आगे बढ़ने नहीं देंगे" और उन्होंने बेंच से केस शुरू करने का आग्रह किया। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सुझाव दिया कि अदालत छुट्टियों के दौरान सुनवाई करे। बेंच ने कहा, ''मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि 19 मई अदालत के अंतिम कार्य दिवस ग्रीष्मावकाश से पहले इसे क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। इंदिरा जयसिंह ने कहा कि किसी को इस तरह की छलावा की रणनीति की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस अदालत के फैसले हैं कि जजों को ऐसी परिस्थितियों में सुनवाई से खुद को अलग नहीं करना चाहिए।”

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इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जस्टिस जोसेफ ने कहा कि वह खुद को अलग नहीं कर रहे हैं। इस पर इंदिरा जयसिंह ने कहा कि "कानूनी अर्थ अलग हो सकता है लेकिन यह बिल्कुल यही है।" जस्टिस जोसेफ ने कहा- “यह मामला मार्च में मेरी अदालत में आया … इसलिए हमने पहले ही दिन नोटिस जारी कर दिया। हम इसे जल्द से जल्द कर सकते हैं। 

बेंच ने कहा कि वह छुट्टियों के दौरान बैठने को तैयार है। जस्टिस जोसेफ ने कहा -

“मैं 16 जून को रिटायर हो रहा हूं। 19 मई मेरे लिए अंतिम कार्य दिवस है। मैं घोषणा करता हूं कि मुझे छुट्टी के दौरान बैठने में कोई समस्या नहीं है...।"


- जस्टिस के.एम. जोसेफ, सुप्रीम कोर्ट, 2 मई, 2023, सोर्सः इंडियन एक्सप्रेस

मेहता ने बेंच से छुट्टियों के दौरान मामले को पोस्ट नहीं करने का आग्रह किया। इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, 'हम मामले को आगे बढ़ाएंगे। और हम 19 मई तक पूरा करने की कोशिश करेंगे…।”

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