अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में हर रोज़ की सुनवाई चल रही है लेकिन इस बीच बातचीत से इस मुद्दे के हल की कोशिश दोबारा शुरू हो गई है। इस मामले में हिंदू और मुसलिम के दो मुख्य पक्षों ने मध्यस्थता की बातचीत को दोबारा शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखे हैं। वे चाहते हैं कि 2.77 एकड़ ज़मीन के मालिकाना हक के विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाया जाए। लेकिन सवाल है कि क्या मध्यस्थता एक बार फिर से शुरू हो सकती है?
अयोध्या विवाद: विफल होने के बाद मध्यस्थता की वकालत फिर क्यों?
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- 29 Mar, 2025
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में हर रोज़ की सुनवाई चल रही है लेकिन इस बीच मध्यस्थता की कोशिश दोबारा शुरू हो गई है। दो पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखे हैं।

मध्यस्थता की कोशिश विफल रहने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने हर रोज़ की सुनवाई शुरू की है। इस मामले में रामलला विराजमान की ओर से दलीलें रखी जा चुकी हैं। 2 सितंबर से सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की ओर से दलीलें रखी जा रही हैं। माना जा रहा है कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड क़रीब तीन हफ़्ते तक सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखेगा। इनके वकील राजीव धवन ने पहले ही कहा था कि वह अपनी दलीलों के लिए 20 दिन का समय लेंगे। इनकी दलीलें रखे जाने के बाद क़रीब एक महीने में फ़ैसला आने की उम्मीद है। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या कोर्ट का फ़ैसला आने से पहले दोनों पक्ष आपसी बातचीत से किसी नतीजे पर पहुँच पाएँगे?