पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या क्यों कम होती जा रही है? क्या इसलिए कि बेटियों को कोख में या जन्मते ही मार दिया जा रहा है? क्या यह उन्हें पुरुषों की अपेक्षा कमतर आँके जाने का रिपोर्ट कार्ड नहीं है? सवाल उठता है कि तरक्की और आधुनिकता आने के साथ महिलाओं की स्थिति बदतर क्यों होती जा रही है?
पुरुषों की अपेक्षा क्यों कम हो रही हैं महिलाएँ?
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- 15 Jul, 2019
क्या तरक्की और आधुनिकता के साथ महिलाओं की स्थिति और बदतर होती जा रही है? पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या में कमी क्यों आयी है? क्या आधुनिक होने के साथ हमारी सोच दकियानूस होती जा रही है?

एक रिपोर्ट आयी है कि हाल के दिनों में लिंगानुपात यानी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या में कमी आयी है। लिंगानुपात ज़्यादा असंतुलित हुआ है और 2015-17 के बीच यह 896 रहा। इससे पहले 2014-2016 में यह 898 था। बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति हज़ार पुरुषों पर 940 महिलाएँ थीं। यानी हाल के वर्षों में लिंगानुपात ज़्यादा असंतुलित होने लगी है। हालाँकि इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के शुरुआती दिनों में यानी 2001 (933) से 2011 के बीच कुछ सुधार ज़रूर दिखा था, लेकिन अब फिर से इसमें गिरावट आनी शुरू हुई है। और यह तब हो रहा है जब सरकार लड़कियों को बढ़ावा देने वाली ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाएँ चला रही है।