सरकार से कोरोना वैक्सीन के लिए क़रार होने के कुछ घंटे बाद ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने कोविशील्ड की पहली खेप रवाना कर दी है। मंगलवार सुबह क़रीब पाँच बजे वैक्सीन से भरे तीन ट्रक पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट के परिसर से निकले। उन्हें सीधे हवाई अड्डा ले जाया गया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए।
सरकार ने एक दिन पहले ही सोमवार को कोरोना वैक्सीन के लिए पहला ऑर्डर दिया है। इसने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया से 1.10 करोड़ वैक्सीन खरीदने का क़रार किया है। यानी इससे 55 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा सकती है।
रिपोर्टों के अनुसार, पुणे हवाई अड्डे से वैक्सीन को दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, करनाल, हैदराबाद, विजयवाड़ा, गुवाहाटी, लखनऊ, चंडीगढ़ और भुवनेश्वर सहित 13 स्थानों पर भेजा जाएगा। ट्रकों में टीकों के 478 बक्से हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन को भेजे जाने के बारे में बात करते हुए डीसीपी (जोन 5) पुणे नम्रता पाटिल ने कहा है, 'वैक्सीन की पहली खेप को यहाँ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया परिसर से भेज दिया गया है। हमने विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था की है।' रिपोर्ट के अनुसार जल्द ही गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा के लिए पाँच और ट्रकों से वैक्सीन भेजी जाएगी।
1.10 करोड़ वैक्सीन के ऑर्डर दिए जाने की ख़बर तब आई जब सोमवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि पहले चरण में देश में क़रीब 3 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन लगाई जाएगी। 3 करोड़ लोगों को टीका लगाने का मतलब होगा कि 6 करोड़ टीके की ज़रूरत होगी।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि भारत में अगले कुछ महीनों में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन मिलेगी।
केंद्र सरकार ने शनिवार को ही एलान किया है कि देश में 16 जनवरी से कोरोना का टीका लगना शुरू हो जाएगा। टीकाकरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसे तीन करोड़ लोगों को सबसे पहले कोरोना का टीका लगाया जाएगा।
ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई वैक्सीन के लिए दिए गए सरकार के ऑर्डर में कहा गया है कि एक वैक्सीन 210 रुपये की पड़ेगी। इसमें जीएसटी भी शामिल है। रिपोर्टों में कहा गया है कि वैक्सीन 200 रुपये की होगी और इस पर जीएसटी 10 रुपये लगेगा। इस हिसाब से एक व्यक्ति को लगाए जाने वाले वैक्सीन के दो डोज के लिए केंद्र सरकार को 420 रुपये का भुगतान करना होगा।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही एक अन्य कोरोना वैक्सीन, कोवैक्सीन से खरीद के लिए ऑर्डर दे सकता है। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार और भारत बायोटेक के बीच इस स्वदेशी रूप से विकसित कोवैक्सीन के लिए बातचीत चल रही है।
बता दें कि देश में इन दो टीकों के आपात इस्तेमाल के लिए ही मंजूरी मिली है। तीन जनवरी को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने भी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी दे दी है। विशेषज्ञ पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन को 1 जनवरी और भारत बायोटेक की वैक्सीन को 2 जनवरी को हरी झंडी दे दी थी।
सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की वैक्सीन के लिए क़रार किया है और उसी वैक्सान के लिए इसने आवेदन किया था। सीरम इंस्टीट्यूट ने इसे कोविशील्ड नाम दिया है। भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के लिए मंजूरी माँगी थी।
हालाँकि कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर विवाद भी हुआ था। आरोप यह लगाया गया कि विशेषज्ञों के पैनल और डीजीसीआई ने बिना कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े के ही मंजूरी दी। वैज्ञानिकों ने भी इस पर सवाल उठाए। इसके बाद यह कहा गया कि इसका इस्तेमाल बैक-अप के तौर पर किया जाएगा और इसको क्लिनिकल ट्रायल मोड में मंजूरी दी गई है। कोविड नियंत्रण के लिए गठित नेशनल टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी कहा कि टीकाकरण अभियान के पहले चरण में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजे़नेका कंपनी की वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन बैक-अप के तौर पर रहेगी।
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