वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के ख़िलाफ़ शिमला में राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया गया है। यह मुक़दमा आईपीसी की धारा 124ए, 268, 505 और 501 के तहत दर्ज किया गया है। इस मामले में अजय श्याम नाम के व्यक्ति ने शिमला के कुमारसैन पुलिस स्टेशन में शिकायत दी थी।
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने बीजेपी के प्रवक्ता नवीन कुमार की शिकायत पर दुआ के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी। कुमार ने आरोप लगाया था कि दुआ फ़ेक न्यूज फैला रहे हैं और सांप्रदायिक हिंसा के लिए लोगों को भड़का रहे हैं।
बुधवार को दिल्ली के साकेत स्थित सेशन कोर्ट ने दुआ को अग्रिम जमानत दे दी थी। गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर स्टे लगा दिया था। दुआ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि इस तरह की हरक़तें उन्हें परेशान करने और धमकाने के लिए की जा रही हैं।
विनोद दुआ ने हाल में कहा था, 'प्रधानमंत्री दंतविहीन व्यक्ति हैं, जिनमें देश की समस्याओं से निपटने की क्षमता नहीं है।' पिछले महीने ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘द वायर’ के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन के ख़िलाफ़ इस आधार पर केस दर्ज किया था कि उन्होंने अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना की थी।
दुआ के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने आपत्ति दर्ज कराई थी और कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप उनके बोलने की आज़ादी के संवैधानिक अधिकार पर हमला हैं।
वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल दुआ के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को लेकर कहते हैं, ‘किसी भी सभ्य लोकतंत्र में असहमति के सुरों को दंडित करने की इस साज़िश की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए। इस मामले के बाद उनके बारे में मनगढ़ंत कथाओं की बाढ़ सी आ गई है। इस तरह के षड्यंत्र केवल परेशान करने के लिए ही रचे जाते हैं। छोटे परदे पर उपलब्धियों का कीर्तिमान रचने वाले विनोद दुआ को अपने ही मुल्क में सम्मान की जगह संत्रास दिया जा रहा है- इसके लिए आने वाली नस्लें हमें माफ़ नहीं करेंगी।’
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