एसबीआई को अब इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी गुरुवार शाम पाँच बजे तक देनी ही होगी। इसमें वह जानकारी भी शामिल है जो इलेक्टोरल बॉन्ड का यूनिक नंबर है और जिससे इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने वाले और इसको भुनाने वाले राजनीतिक दलों का मिलान हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट यहीं नहीं रुका, इसने तो यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि वह इसका हलफनामा दे कि उसने सारी जानकारी चुनाव आयोग को दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसबीआई को अल्फ़ान्यूमेरिक नंबर और बॉन्ड की क्रम संख्या सहित सभी विवरणों का खुलासा करना होगा। इसने कहा कि यदि कोई खरीदा या भुनाया गया हो, तो चुनाव आयोग एसबीआई से डेटा मिलने के बाद तुरंत अपनी वेबसाइट पर उसको प्रकाशित करेगा।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ एसबीआई द्वारा दी गई कथित तौर पर अधूरी जानकारी के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए जो आपके पास है।' सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एसबीआई चेयरमैन को हलफनामे में यह घोषित करना होगा कि एसबीआई ने कोई जानकारी नहीं छिपायी है।
सीजेआई ने कहा, 'फैसला साफ़ था कि सभी जानकारियों का खुलासा किया जाना चाहिए, चुनिंदा न हों।' उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि कुछ भी दबाया नहीं गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि एसबीआई इस अदालत के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा,
“
हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए जो आपके पास है। हम मान रहे हैं कि आप यहां राजनीतिक दल के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट
14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी आख़िरकार चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई थी। राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए इसे बड़ा क़दम बताया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड की यह जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया कराई है। चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी दो सेट में है जिसमें से एक सेट में इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने वाले व्यक्तियों और कंपनियों के नाम हैं तो दूसरे सेट में जिन राजनीतिक दलों ने उन बॉन्ड को भुनाया है उसके नाम हैं। मौजूदा जानकारियों के सेट से यह पता नहीं चल पा रहा है कि चंदा खरीदने वाले किस शख्स या कंपनी ने किस राजनीतिक दल को और कितना चंदा दिया।
इस अधूरी जानकारी को लेकर ही मामला शीर्ष अदालत में फिर से पहुँचा था। सोमवार को सुनवाई के दौरान एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, 'ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हम कोर्ट के साथ खेल रहे हैं।' इस पर अदालत ने जवाब दिया, 'हमें उम्मीद है कि मिस्टर साल्वे आप यहां किसी राजनीतिक दल के लिए पेश नहीं हो रहे हैं... यह एसबीआई है।'
इस बीच, वकील प्रशांत भूषण ने कहा, 'चुनावी बॉन्ड खरीदे जाने और भुनाए गए बॉन्ड के बीच बहुत बड़ा अंतर है। इसमें 550 करोड़ रुपये से अधिक का भुनाया गया दिखाया गया है। यह संभव है कि इनमें से कुछ बांड 12 अप्रैल, 2019 से पहले खरीदे गए हों और इसे उसके बाद भुनाया गया हो।'
हालाँकि, सीजेआई ने टिप्पणी की कि अदालत के आदेश 12 अप्रैल, 2019 तक के डेटा से संबंधित थे और 'खुलासे से पहले का खुलासा करने के लिए दायर अंतरिम आवेदन में पर्याप्त संशोधन करना होगा और इस तरह यह बरकरार नहीं रहेगा और खारिज किया जाता है'।
इससे पहले पिछले महीने एक ऐतिहासिक फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 को रद्द करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 6 मार्च तक ईसीआई को डेटा देने का निर्देश दिया था। ईसीआई को 13 मार्च तक डेटा प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया था। हालाँकि 4 मार्च को बैंक ने यह कहते हुए 30 जून तक अतिरिक्त समय की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था कि पार्टी को प्रत्येक दान का मिलान करने के कार्य में समय लगेगा।
अदालत ने सोमवार को साफ़ किया कि उसने मिलान अभ्यास करने के लिए नहीं कहा था और बैंक को खरीदार का नाम, बेचे गए प्रत्येक बॉन्ड की तारीख और मूल्यवर्ग, और पार्टी का नाम, भुनाने की तारीख भेजने का निर्देश दिया। इसने कहा कि 12 अप्रैल, 2019 से भुनाए गए प्रत्येक बॉन्ड की जानकारी ईसीआई को भेजा जाए।
अपनी राय बतायें