जयपुर के कनिष्क कटारिया 2018 की सिविल सेवा की परीक्षा में टॉपर बने हैं। वह एक दलित समाज से हैं। दलित समाज से ही टीना डाबी 2015 में टॉपर रही थीं। यानी चार साल में दलित समाज से ही दो टॉपर बने। देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक यूपीएससी की इन परीक्षाओं में दलितों का टॉपर बनना क्या बदलाव की कहानी कहता है? क्या उन्हें समान अवसर मिले हैं या अब भी वे उसी तरह से शोषित और दबे-कुचले हैं?
कनिष्क टॉपर बने, लेकिन दलितों की स्थिति कितनी बदली?
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- 6 Apr, 2019

जयपुर के कनिष्क कटारिया 2018 की सिविल सेवा की परीक्षा में टॉपर बने हैं। वह दलित समाज से हैं। देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक यूपीएससी की इन परीक्षाओं में दलितों का टॉपर बनना क्या बदलाव की कहानी कहते हैं?
इस सवाल का जवाब इतना आसान भी नहीं है। 'दलित का घर जला दिया गया', 'दलित की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई', 'सवर्णों के नल से पानी पीने के चलते पीटा गया' और 'दलित दूल्हे को घोड़ी चढ़ने से रोका गया' ऐसी ख़बरें हर दिन अख़बारों में छोटे से बड़े कॉलम में मिल जाएँगी। लेकिन इसी बीच एक ऐसी भी ख़बर आती है कि किसी दलित ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा की परीक्षा में टॉप किया।