जयपुर के कनिष्क कटारिया 2018 की सिविल सेवा की परीक्षा में टॉपर बने हैं। वह एक दलित समाज से हैं। दलित समाज से ही टीना डाबी 2015 में टॉपर रही थीं। यानी चार साल में दलित समाज से ही दो टॉपर बने। देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक यूपीएससी की इन परीक्षाओं में दलितों का टॉपर बनना क्या बदलाव की कहानी कहता है? क्या उन्हें समान अवसर मिले हैं या अब भी वे उसी तरह से शोषित और दबे-कुचले हैं?