तेल कंपनी सऊदी अरामको के एक बड़े अफसर को 1 हफ्ते तक उत्तराखंड की चमोली जेल में रहना पड़ा। उन्हें इस साल जुलाई में उत्तराखंड की पुलिस ने बिना अनुमति के सेटेलाइट फोन रखने के चलते गिरफ्तार कर लिया था। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उन्हें 1000 रुपए के जुर्माने पर रिहा किया गया था।
इस सीनियर अफसर का नाम फर्गस मैकलियोड है और वह सऊदी अरामको में इन्वेस्टर रिलेशंस के प्रमुख हैं। उन्होंने ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि जब वह उत्तराखंड के चमोली जिले में वैली ऑफ फ्लावर्स नेशनल पार्क में स्थित एक होटल में थे तब उन्हें 12 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया था और 18 जुलाई तक जेल में रखा गया।
फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, उत्तराखंड पुलिस के अफसरों ने फर्गस मैकलियोड को तब हिरासत में लिया, जब उन्होंने होटल में अपने सेटेलाइट फोन को चालू किया और फिर बंद कर दिया।
फर्गस मैकलियोड का कहना है कि उन्होंने इसे इस्तेमाल नहीं किया था। उनके मुताबिक वह छुट्टी का दिन था और उस दिन वह अपने दोस्तों के साथ थे। बताना होगा कि चमोली जिले का एक हिस्सा लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के साथ चीन से लगता है।
इस बारे में चमोली की एसपी श्वेता चौबे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि फर्गस मैकलियोड को इसलिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि बिना पूर्व अनुमति के किसी भी विदेशी नागरिक का भारत में सेटेलाइट फोन इस्तेमाल करना या रखना गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि अफसर को इस बात की जानकारी नहीं थी।
साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में बिना पूर्व इजाजत के सेटेलाइट फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
फर्गस मैकलियोड ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि उन्होंने यह सेटेलाइट फोन साल 2017 में ब्रिटेन में खरीदा था और जब सऊदी अरब के दूरदराज वाले इलाकों में उन्हें जाना होता है तो ऐसी जगह पर मोबाइल के सिग्नल काफी कमजोर होते हैं और उस दौरान वह इसका इस्तेमाल करते हैं।
चमोली जिले के गोविंदघाट पुलिस थाने के पुलिस अफसर नरेंद्र सिंह रावत ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 11 जुलाई को किसी विदेशी नागरिक के सेटेलाइट फोन को रखे जाने के बारे में सूचना मिली थी। सूचना मिलने पर एक पुलिसकर्मी को इस बात की पुष्टि करने के लिए भेजा गया और इस तेल कंपनी के अफसर को हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद उन्हें जेल भेजा गया जहां से उन्हें 18 जुलाई को जमानत मिल गई थी।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नई दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमीशन के प्रवक्ता ने कहा कि इस संबंध में ब्रिटिश नागरिक को कांसुलर सपोर्ट दिया गया था।
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