मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि वह किसान आंदोलन के दौरान इस्तीफा अपनी जेब में रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास गए थे और प्रधानमंत्री से कहा था कि उन्हें किसानों की बात मान लेनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने काफी वक्त बाद कृषि कानून तो वापस ले लिए थे लेकिन अगर एमएसपी को लागू नहीं किया गया तो एक बार फिर किसानों के साथ बड़ी लड़ाई होगी और वह राज्यपाल का पद छोड़ कर उस लड़ाई में कूद पड़ेंगे।
मलिक गुरूवार को बुलंदशहर में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान 700 लोग मारे गए लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा जबकि दिल्ली के नेता अगर कुतिया भी मरती है तो शोक संदेश भेजते हैं।
इससे इतर उन्होंने न्यूज़ 24 के साथ बातचीत में कहा कि सरकार का नजरिया किसानपरस्त नहीं है और अगर सरकार और फौज खराब हो गई तो यह सरकार भी नहीं बचेगी।
मलिक ने कहा कि जब किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे थे तो प्रधानमंत्री ने उनकी कोई बात नहीं सुनी। 1 साल तक चले किसानों के आंदोलन के बाद मोदी सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था। इसके अलावा किसानों की कई और मांगों को भी केंद्र सरकार ने मान लिया था।
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अगस्त में मेवात के नूंह में एक कार्यक्रम में मलिक ने कहा था कि किसानों को एमएसपी के मुद्दे पर कोई नहीं हरा सकता। मलिक ने कहा था कि अगर एमएसपी को लागू नहीं किया गया और एमएसपी पर कानूनी गारंटी नहीं दी गई, तो एक और लड़ाई होगी। राज्यपाल ने कहा था कि मोदी जी के मित्र अडानी एमएसपी नहीं लागू होने दे रहे हैं।
‘किसान अपना राज बनाएं’
इस साल मार्च में हरियाणा के जींद में आयोजित एक कार्यक्रम में मलिक ने कहा था कि किसानों को यह सीखना चाहिए कि वह अपना राज बनाएं, अपनी सरकार बनाएं ताकि मांगना ना पड़े बल्कि लोग उनसे मांगें। मलिक ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में आपको यह लगेगा कि नए लोग खड़े हुए हैं, नई पार्टियां खड़ी हुई हैं और वही जीतेंगी और उनकी ही सरकार बनेगी।
मलिक ने किसान आंदोलन के दौरान यह भी कहा था कि बीजेपी का कोई नेता उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर के किसी गांव में नहीं घुस सकता। मलिक के निशाने पर बीजेपी के पूर्व महासचिव और आरएसएस के नेता राम माधव भी रहे थे।
किसान बेल्ट में होगा असर?
सत्यपाल मलिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाके से आते हैं और इस इलाके में किसान आंदोलन बेहद मजबूत रहा था। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिम में चुनाव प्रचार के दौरान किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था। सत्यपाल मलिक ने सक्रिय राजनीति में लौटने की बात कही है और उन्हें राजनीति में कई दशकों का लंबा अनुभव है। अगर वह बीजेपी के खिलाफ कोई अभियान शुरू करेंगे तो निश्चित रूप से इसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान की किसान बेल्ट में खासा असर हो सकता है।
यहां सवाल यह भी है कि मलिक के लगातार हमलों के बाद भी मोदी सरकार उन्हें राज्यपाल के पद से हटाने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पा रही है।
कुछ महीने पहले सत्यपाल मलिक का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि किसान आंदोलन के मामले में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले तो थोड़ी देर में उनका उनसे झगड़ा हो गया था।
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