गोगरा और हॉटस्प्रिंग के इलाकों में भारत और चीन की सेनाएं पीछे हटने की प्रक्रिया को 12 सितंबर तक पूरा कर लेंगी। भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर यह बात कही है। गुरुवार को ही दोनों देशों की सेनाओं ने घोषणा की थी कि उन्होंने गोगरा और हॉटस्प्रिंग के इलाकों के पेट्रोलिंग पॉइंट 15 से पीछे हटने का काम शुरू कर दिया है। गलवान की झड़प के बाद से ही यहां पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं।
बताना होगा कि साल 2020 मई में पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच जबरदस्त हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे जबकि चीन लंबे वक्त तक इस बात से इनकार करता रहा कि गलवान में हुई झड़प में उसके किसी सैनिक की मौत हुई है लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया था कि उसके 4 सैनिक इस झड़प में मारे गए हैं।
38 चीनी सैनिक मारे गए?
फरवरी 2022 में एक ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द क्लैक्सन' ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में चीन के 38 जवान मारे गए थे। यह रिपोर्ट 1 साल की लंबी पड़ताल के बाद तैयार की गई थी। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में चीन के ब्लॉगर्स, चीनी नागरिकों से मिली जानकारी और चीनी अफसरों के द्वारा डिलीट कर दी गई मीडिया रिपोर्ट्स को शामिल किया था।
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बहरहाल, विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि बाकी मुद्दों पर उनकी वार्ता जारी रहेगी जिससे एलएसी पर शांति बहाली हो सके। बताना होगा कि गलवान में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के सैन्य कमांडर्स के बीच कई दौर की वार्ता चली थी। इस दौरान दोनों देशों की सेनाएं तमाम बख्तरबंद वाहनों, रॉकेट और मिसाइलों के साथ पूरी ताकत से सीमा पर डटी रहीं।
पीटीआई के मुताबिक, मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि दोनों पक्षों द्वारा इस इलाके में बनाए गए सभी अस्थाई ढांचों को गिरा दिया जाएगा और इसे दोनों पक्षों द्वारा प्रमाणित भी किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा है कि अब इस इलाके में गलवान में हुई झड़प से पहले वाले हालात को बहाल किया जाएगा।
एलएसी के उल्लंघन का आरोप
गलवान में हुई मुठभेड़ के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर एलएसी का उल्लंघन करने के आरोप लगाए थे। इस बीच कई बार इस तरह की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आईं जिनसे पता चला कि चीन एक तरफ़ तो बातचीत से सीमा विवाद के मुद्दे को हल करने का दिखावा कर रहा है और दूसरी तरफ़ वह अरुणाचल प्रदेश में अवैध निर्माण कर रहा है।
इस साल मई में खबर आई थी कि चीन ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पैंगोंग त्सो झील पर एक और पुल का निर्माण शुरू कर दिया है। इससे कुछ महीने पहले ही वहां चीन द्वारा एक और पुल बनाए जाने की ख़बर आई थी।
इसके अलावा सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला था कि डोकलाम पठार से 9 किमी पूर्व में एक चीनी गांव पूरी तरह बस गया है। इस इलाके में 2017 में भारतीय और चीनी सेना का आमना-सामना हुआ था।
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