महाराष्ट्र की सरकार गहरे संकट में है। पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की 100 करोड़ की वसूली के आरोप के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया है। शरद पवार और उद्धव ठाकरे कटघरे में हैं। बीजेपी हमलावर है। सरकार गिर सकती है, ऐसी भी अटकलें हैं। आशुतोष ने ठाकरे परिवार के क़रीबी और शिवसेना सांसद संजय राउत से बात की। संजय राउत अपने ख़ास अंदाज में बात करते हैं। वह इन दिनों दिल्ली में हैं। संसद सत्र चल रहा है।
राउत का कहना है, ‘कुछ पुलिस अफ़सर बीजेपी के साथ मिल कर ठाकरे सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। ये अफ़सर बीजेपी से मिले हैं।’ पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के अलावा पूर्व राज्य इंटेलिजेंस प्रमुख रश्मि शुक्ला की एक जाँच रिपोर्ट भी सामने आयी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में ट्रांसफ़र पोस्टिंग का एक बड़ा रैकेट चल रहा है। कुछ एजेंटों ने पुलिस के बड़े अफ़सरों के तबादले के लिये उद्धव ठाकरे और शरद पवार तक से संपर्क किया था। यह रिपोर्ट उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक को भेजी है। उन्होंने रिपोर्ट को राज्य गृह सचिव को भेज दी। विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह सचिव को सौंप दी है और यह आरोप लगाया है कि ठाकरे सरकार में बड़े पैमाने पर पैसे लेकर तबादले किए जा रहे हैं। राउत ने इंटरव्यू में आरोप लगाया है, ‘रश्मि शुक्ला, विधानसभा चुनाव बाद जब सरकार बन रही थी तब विधायकों को बुलाकर बीजेपी को समर्थन देने के लिये दबाव डाल रही थीं।’
राउत ने दो टूक भाषा में कहा कि सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश रचने वालों अफ़सरों को बख्शा नहीं जाएगा और जो ठाकरे सरकार को कमज़ोर समझ रहे हैं वो किसी मुग़ालते में न रहें। उन्होंने कहा कि अभी तक इन लोगों को ‘डिस्काउंट’ दिया जा रहा था। उन्होंने चेताया, ‘हम थोक भाव में बजा देंगे। और हमारी सरकार यह दिखा देगी कि ठाकरे क्या चीज हैं।’ राउत ने कहा कि अतीत में हमारी सरकार को समझने की भूल कुछ लोगों ने की थी उनको सबक़ सिखा दिया गया। उन्होंने किसी का नाम लिया।
सुशांत सिंह राजपूत के मामले में रिपब्लिक टीवी के मालिक और संपादक अर्णब गोस्वामी ने उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे का नाम ले कर मज़ाक़ उड़ाया था और गंभीर आरोप लगाये थे। बाद में टीआरपी घोटाले में अर्णब को मुंबई पुलिस ने गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया था। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिली। कंगना रनौत ने भी ट्विटर पर ठाकरे के बारे में ओछी टिप्पणियाँ की थीं। उनका बंगला भी तोड़ दिया गया था और कई मुक़दमे उन पर लगे हैं।
राउत से जब यह पूछा गया कि क्या ठाकरे परिवार का दबदबा कम हो गया है क्योंकि बाला साहेब ठाकरे के ख़िलाफ़ बोलने की हिम्मत किसी में नहीं होती थी, तो राउत ने कहा कि ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा, 'बाला साहेब सरकार में नहीं थे। वह न तो मुख्यमंत्री बने और न प्रधानमंत्री। जो मुख्यमंत्री बनता है उस पर आरोप लगते हैं, टिप्पणियाँ की जाती हैं।’
इस इंटरव्यू में राउत ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि जो ये सोचते हैं कि सरकार को गिरा लेंगे वो मुग़ालते में न रहें। उन्होंने कहा, ‘सरकार मज़बूत है और पाँच साल चलेगी। और यही पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के फ़्रस्ट्रेशन का कारण है। जिन कागजातों को लेकर वह दौड़ भाग रहे हैं, आरोप लगा रहे हैं, वो भीगे पटाखे हैं। उनमें दम नहीं है। देवेंद्र अपना ही मज़ाक़ उड़ा रहे हैं।’ राउत ने कहा कि फडणवीस अच्छे नेता हैं, लंबा करियर है पर ये सब कर वह हास्य के पात्र बन रहे हैं।
जब उनसे पूछा गया कि वो तो परमबीर सिंह की तारीफ किया करते थे, सामना में उनके पक्ष में संपादकीय लिखते थे, तो वह बोले, ‘मैं आज भी उनकी तारीफ करता हूँ। उन्होंने बत्तीस साल प्रदेश की सेवा की है। वो अच्छे अफ़सर हैं। लेकिन बीजेपी के नेताओं से मिलकर उन्हें चिट्ठी नहीं लिखनी चाहिये। उन्हें सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहिए। यह ग़लती उन्होंने की है।’
परमबीर सिंह ने अपने तबादले और वसूली की सीबीआई जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। अब कोर्ट ने हाई कोर्ट जाने को कहा है।
उनके मुताबिक़ दिल्ली में फडणवीस की बीजेपी के आलाकमान से मुलाक़ात के बाद परमबीर ने गृह मंत्री पर सौ करोड़ की वसूली का आरोप लगाया था। उनसे पूछा गया कि क्या यह सच है कि परमबीर सिंह ने चिट्ठी लिखने के पहले केंद्र के एक बड़े ताक़तवर मंत्री से मुलाक़ात की थी तो उन्होंने हाँ में जबाव दिया। हालाँकि मंत्री का नाम नहीं लिया।
राउत का मानना है कि स्कॉर्पियो में जिलेटिन की छड़ मिलने का छोटा सा मामला था लेकिन उसे बड़ा कर दिया गया। वह पूछते हैं कि इसमें एनआईए के कूदने की क्या ज़रूरत थी। वह जाँच कर ले। पहले भी केंद्रीय एजेंसियाँ सुशांत मामले की जाँच कर चुकी है। तब भी कुछ नहीं मिला था। अब भी कुछ नहीं मिलेगा। राउत की बातों से साफ़ है कि बीजेपी के लगातार हमलों से ठाकरे सरकार की साँसत तो हुई है! पर वह यह नहीं मानते कि मिसहैंडल हुआ है। पर उनका इशारा है कि कुछ अफ़सरों पर तो गाज गिरेगी और वे बख्शे नहीं जाएँगे।
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