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क्या केंद्र सरकार यह मानती है कि बाकी अधिकारी योग्य ही नहीं हैं?: सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद अब संजय मिश्रा  15-16 सितंबर की मध्य रात्रि तक इस पद पर बने रहेंगे। कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि अब इसके बाद उन्हें कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की मांग पर जहां एक ओर ईडी निदेशक के कार्यकाल को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार पर कई तीखी टिप्पणियां भी की है। 
सुप्रीम कोर्ट में उनकी सेवा विस्तार को लेकर 3 जजों की खंडपीठ ने सुनवाई की जिसमें जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल शामिल थे। सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या इतने बड़े संस्थान ईडी में एक यही अधिकारी हैं जो इतने बड़े मुद्दे को संभाल सकते हैं?
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केंद्र ने कहा, संजय मिश्रा की विशेषज्ञता है

जस्टिस बीआर गवई पूछा कि क्या केंद्र सरकार यह मानती है कि बाकी अधिकारी  योग्य ही नहीं हैं? कहा कि, सुप्रीम कोर्ट में भी एक के बाद एक चीफ जस्टिस आते हैं। कल में सुप्रीम कोर्ट नहीं आऊंगा तो क्या सुप्रीम कोर्ट कोर्ट बंद हो जाएगा?
जस्टिस बीआर गवई के सवालों पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आपके सवाल बिल्कुल सही हैं लेकिन यहां स्थिति थोड़ी अलग है, जिसके कारण सरकार को उनका कार्यकाल बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा है। फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की टीम आने वाली है।इससे ही अंतर्राष्ट्रीय ऋण प्राप्त करने में देश की पात्रता तय होगी। इसी में नाकाम रहने के कारण पड़ोसी देश पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में हैं।  
उन्होंने कोर्ट को बताया कि फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स से जुड़े मुद्दों पर वर्तमान ईडी निदेशक संजय मिश्रा की विशेषज्ञता है। उनके अभी पद से हटने पर ग्लोबल स्तर पर आर्थिक सुधारों की तरफ आगे बढ़ रहे हमारे देश की छवि पर बट्टा लग सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कोशिशों को धक्का लगेगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि देश हित में सिर्फ 15 अक्तूबर तक उनके सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी जाए। 
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने ईडी को लेकर कहा कि लगता है आपका डिपार्टमेंट अयोग्य लोगों से भरा हुआ है।  क्या कोई भी योग्य अधिकारी नहीं है कि एक अधिकारी के जाने से इतना फर्क पड़ जायेगा। 
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एक ही अधिकारी के कंधे पर सारा बोझ डाल रखा है

सुप्रीम कोर्ट में हुई इस सुनवाई में हिस्सा लेते हुए याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक ही अधिकारी के कंधे पर सारा बोझ डाल रखा है। यह स्थिति तब है जब सभी संस्थानों में सक्षम अधिकारियों की कोई कमी नहीं है लेकिन यहां तो एफएटीएफ के नाम पर मनमानी हो रही है।  

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क़मर वहीद नक़वी
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