देश में सैनिक स्कूल रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में आजादी से पहले से चल रहे हैं। आजादी के बाद से इनका और भी ज्यादा विस्तार हुआ। सैनिक स्कूलों से बच्चों को छात्र जीवन से देश की सेनाओं के लिए तैयार किया जाता है और बाद में तीनों सेना की विभिन्न परीक्षाओं के जरिए वे सेना में भर्ती हो जाते हैं। लेकिन आरएसएस संबद्ध संस्थानों, साध्वियों, नेताओं द्वारा संचालित सैनिक स्कूलों से छात्रों को विचारधारा के हिसाब से तैयार कर सेना में भेजने की तैयारी है।रिपोर्ट्स क्लेक्टिव ने इलेक्ट्रोरल बांड (चुनावी चंदा) पर खोज रिपोर्ट के बाद इस खोज रिपोर्ट के जरिए मोदी सरकार को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। क्योंकि देश में 70 वर्षों तक कांग्रेस का शासन रहा, उसने सैनिक स्कूलों के स्टैंडर्ड को बनाए रखने के लिए किसी एनजीओ या नेताओं द्वारा संचालित सैनिक ट्रेनिंग स्कूलों को इसके जरिए तैयार होने का कोई मौका नहीं दिया। इसलिए यह रिपोर्ट चिन्ता पैदा कर रही है कि अब सेना में संघ की विचारधारा के हिसाब से सैनिकों, अधिकारियों को भर्ती किया जाएगा।