पाकिस्तान में होने वाले एससीओ की बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं, बल्कि विदेश मंत्री एस जयशंकर जाएँगे। जयशंकर 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की यात्रा करने वाले हैं। विदेश मंत्री की यह यात्रा तब हो रही है, जब दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध रहे हैं।
भारत ने 30 अगस्त को पुष्टि की कि उसे इस्लामाबाद में होने वाली एससीओ परिषद की आगामी बैठक के लिए पाकिस्तान से निमंत्रण मिला है। रोटेशन प्रणाली के तहत पाकिस्तान एससीओ परिषद के शासनाध्यक्षों की बैठक की अध्यक्षता कर रहा है। वह अक्टूबर में दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। एससीओ शासनाध्यक्ष स्तर की बैठक में आमतौर पर प्रधानमंत्री शामिल होते हैं।
भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान से मिलकर बना एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा ब्लॉक है जो सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिस्तान, कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बन गए। पिछले साल जुलाई में ईरान भारत द्वारा आयोजित समूह के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में एससीओ का स्थायी सदस्य बन गया।
इस्लामाबाद शिखर बैठक से पहले मंत्रिस्तरीय बैठक और वरिष्ठ अधिकारियों की कई दौर की बैठकें होंगी, जो एससीओ सदस्य देशों के बीच वित्तीय, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग पर केंद्रित होंगी।
एससीओ सरकार प्रमुखों की परिषद समूह में दूसरी सबसे बड़ी संस्था है। पिछले सात वर्षों में 2017 से, भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री या रक्षा मंत्री के स्तर पर किया गया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले साल बिश्केक में भाग लिया था। 2020 में जब भारत ने एससीओ सरकार प्रमुख स्तर की बैठक की वर्चुअल मेजबानी की, तो पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व पाकिस्तान के विदेश मामलों के संसदीय सचिव ने किया था। इससे पहले तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसमें शामिल हो चुके हैं।
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