राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हरिद्वार और छत्तीसगढ़ धर्म संसद में भड़काने वाली बयानबाजी पर बचाव की मुद्रा में आ गया है। आरएसएस के बड़े नेता इन्द्रेश कुमार के बाद अब संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी सफाई पेश की है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा था कि धर्म संसद के आयोजनों में दिए गए कथित अपमानजनक बयान हिंदू विचारधारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। धर्म संसद के आयोजनों में कही गई बातों पर निराशा व्यक्त करते हुए भागवत ने कहा, "धर्म संसद के आयोजनों में जो कुछ भी निकला, वह हिंदू शब्द नहीं, हिंदू कर्म या हिंदू मन नहीं था।"
वह लोकमत मीडिया समूह के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। वहां विषय था - 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता।'
उन्होंने कहा, “अगर मैं कभी गुस्से में कुछ कह दूं तो वह हिंदुत्व नहीं है। आरएसएस या हिंदुत्व का पालन करने वाले इस पर विश्वास नहीं करते हैं।
आरएसएस प्रमुख जाहिर तौर पर हाल ही में छत्तीसगढ़ में आयोजित धर्म संसदों का जिक्र कर रहे थे, जहां धर्मगुरु कालीचरण ने महात्मा गांधी के खिलाफ उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करते हुए अपमानजनक बयान दिए थे।
एक और 'धर्म संसद' दिसंबर में उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित की गई थी, जिसमें कथित तौर पर प्रतिभागियों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण दिए गए थे।
इस मामले में एक एफआईआर धारा 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) में दर्ज की गई थी। नरसिंहानंद और वसीम रिजवी उर्फ जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी जेल में हैं।
संघ प्रमुख ने कहा -यहां तक कि सावरकर ने भी कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है, तो वह गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के बारे में।" इस बारे में बोलते हुए कि क्या राष्ट्र 'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर है, भागवत ने कहा-
“
आप चाहे स्वीकार करें या न करें। यह सब हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है। हिंदू राष्ट्र तो है।
-मोहन भागवत, संघ प्रमुख, रविवार को
भागवत ने कहा कि हमारे देश का संविधान भी हिंदुत्व पर ही आधारित है, जो राष्ट्रीय एकीकरण पेश करता है। उन्होंने कहा, संघ लोगों को विभाजित नहीं करता है, लेकिन मतभेदों को दूर करता है, हम इसी हिंदुत्व से चलते हैं।"
बताते दें कि हरिद्वार और छत्तीसगढ़ धर्म संसद की चौतरफा निन्दा के बाद आरएसएस लगातार सफाई पेश कर रहा है। इससे पहले आरएसएस के प्रमुख नेता इन्द्रेश कुमार ने भी यही बातें कहीं थीं, जो कल मोहन भागवत ने कही हैं। समझा जाता है कि जिस तरह धर्म संसद के भड़काऊ बयानों पर विदेशों में भी तीव्र प्रतिक्रिया हुई, उससे आरएसएस बचाव की मुद्रा में आ गया है।
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