राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने साफ किया है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के मामले में वह केंद्र सरकार के साथ नहीं है। संघ ने कहा है कि ऐसे मामलों को समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिए और उसे ही फैसला करने देना चाहिए। माना जा रहा है कि इस मामले में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की अहमदाबाद में होने जा रही बैठक में चर्चा हो सकती है।
यह बैठक संघ में बेहद अहम होती है और इसमें सभी बड़े पदाधिकारी और संघ के आनुषांगिक संगठनों से जुड़े लोग शामिल होते हैं। यह बैठक 11 से 13 मार्च तक होनी है।
संघ के एक बड़े नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सवाल इस बात का है कि सरकार को ऐसे मामलों में कितना दखल देना चाहिए और कुछ चीजों को समाज के लिए भी छोड़ दिया जाना चाहिए।
भारत में अभी तक महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल और पुरुषों के लिए 21 साल है।
केंद्र सरकार के द्वारा यह क़दम उठाए जाने के बाद कई महिला सांसदों ने इस पर अपने विचार रखे थे और कहा था कि सभी दलों की महिला सांसदों को इस बारे में फैसला करने दिया जाए।
हालांकि सरकार के इस फैसले पर खाप पंचायतों ने भी ऐतराज जताया था और इसके विरोध में हरियाणा में महापंचायत भी बुलाई गई थी। खाप पंचायतों का कहना था कि इससे महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध बढ़ेंगे। समाजवादी पार्टी ने संसद में इस संबंध में प्रस्तावित विधेयक का विरोध करने की बात कही थी।
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