गांधीवादी अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में 2011 में चले आन्दोलन ने पूरे देश को झकझोड़ कर रख दिया था। इस आंदोलन ने देश में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभूतपूर्व माहौल बनाने में मदद की थी और भ्रष्टाचार रोकने के लिये लोकपाल बनाने की माँग की थी। इस आंदोलन के बहाने देश में एक नए किस्म की राजनीति की बात चली थी। अब तक़रीबन नौ साल बाद इस आंदोलन से जुड़े लोग सवाल खड़े करने लगे हैं। उन दिनों अन्ना हज़ारे की टीम के सदस्य रहे प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि इस आंदोलन के पीछे आरएसएस का हाथ था।
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़
इस आन्दोलन की बागडोर 'इंडिया अगेन्स्ट करप्शन' नामक संस्था के हाथ थी। अन्ना हज़ारे, अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी की तरह प्रशांत भूषण भी इस के सदस्य थे। इस आंदोलन का मक़सद था सरकारी तंत्र में से भ्रष्टाचार ख़त्म करना और लोकपाल बनाना। अन्ना हज़ारे ने पहले जंतर मंतर पर धरना दिया और बाद में रामलीला मैदान में आमरंण अनशन किया। संसद ने जब एक मत से उनकी माँगों पर विचार करने का आश्वासन दिया तब उन्होंने अनशन तोड़ा। बाद में लोकपाल बिल लाया गया था।
आन्दोलन पर उठे थे सवाल
उस वक्त भी इस आंदोलन पर यह आरोप लगा था कि आरएसएस पीछे से इस आंदोलन को हवा दे रहा है। तब हज़ारे की टीम ने इस का ज़ोरदार विरोध किया था।
प्रशांत भूषण ने यह यह कह कर कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी ने उस आन्दोलन को पीछे से खड़ा किया था और बीजेपी मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार को इसी बहाने गिराना चाहती थी, उस आरोप को नये सिरे से हवा दे दी है।
इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई से ख़ास बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मेरे मन में दो बातें हैं, जिन्हें लेकर मुझे अफ़सोस है।'
इस मशहूर वकील ने आगे कहा, 'मैं यह नहीं समझ पाया कि यह आन्दोलन बहुत हद तक बीजेपी और आरएसएस के समर्थन से चल रहा था। इसके पीछे उनका राजनीतिक मक़सद था, वे कांग्रेस सरकार को गिरा कर ख़ुद सत्ता में आना चाहते थे।' उन्होंने कहा,
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'आज मुझे इस पर कोई संदेह नहीं है। शायद अन्ना हज़ारे को भी इसकी जानकारी नहीं थी, पर अरविंद केजरीवाल को यह पता था। मुझे इस पर कोई संदेह नहीं है।'
इसके साथ ही प्रशांत भूषण ने अपने दूसरे पछतावे के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, 'मैं अरविंद केजरीवाल के चरित्र को शुरू में नहीं समझ सका। मैं इसे काफी देर से समझ पाया, पर तब तक हमने फ्रैंकस्टाइन राक्षस बना लिया था।'
बता दें कि अंग्रेज़ी उपन्यासकार मेरी शेली ने 1818 में एक किताब लिखी थी, 'द म़ॉडर्न प्रोमेथियस'। इसमें विक्टर फ्रैंकस्टाइन नामक वैज्ञानिक एक ऐसा जीव बनाता है जो बाद में उसके नियंत्रण से बाहर चला जाता है और बहुत बड़े पैमाने पर तबाही मचाता है। वह एक राक्षस बन जाता है।
आन्दोलन के लोग बीजेपी में शामिल
प्रशांत भूषण का यह आरोप महत्वपूर्ण इसलिए है कि अन्ना आन्दोलन के बाद ही बीजेपी सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। इसके अलावा उस आन्दोलन से जुड़े कई लोग बाद में बीजेपी में शामिल हो गए और राजनीतिक सत्ता हासिल कर ली। उस आन्दोलन से जुड़े जनरल वी. के. सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और मंत्री बने, वह इस समय भी केंद्रीय मंत्री है। इसी तरह पूर्व आईपीएस किरण बेदी इस आन्दोलन में अहम थीं, बाद में वह बीजेपी में चली गईं और बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया। वह फिलहाल पुद्दुचेरी की लेफ़्टीनेंट गवर्नर है।
इस आंदोलन के ख़त्म होने के बाद अन्ना टीम के कई सदस्यों ने केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमीं पार्टी बनाई और दिल्ली का चुनाव लड़ा, 2013 दिसंबर में 28 सीट जीत कर सरकार बनाई। केजरीवाल ने 49 दिनों के बाद मुख्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया। प्रशांत भूषण तब आम आदमीं पार्टी की पालिटिकल अफेर्स कमेटी के सदस्य थे। लेकिन 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय प्रशान्त और केजरीवाल में गहरे मतभेद हो गये और बाद में प्रशांत भूषण को योगेन्द्र यादव के साथ पार्टी से निकाल दिया गया था।
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