कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर चल रही क़वायद लंबी खिंचने से पार्टी में घमासान मच गया है। पार्टी में दिग्गज नेताओं के बीच की अंदरूनी कलह अब खुलकर सामने आने लगी है। एक-एक कर नेता अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की माँग कर रहे हैं। इनका कहना है कि अध्यक्ष का चुनाव कार्यसमिति को करना चाहिए और इसके लिए जल्द से जल्द कार्यसमिति की बैठक बुलाई जानी चाहिए। पार्टी में लगातार बढ़ रहे घमासान को देखते हुए कार्यसमिति के सदस्यों से बंद लिफाफे में नए अध्यक्ष के लिए चार नाम माँगे गए हैं। मंगलवार को संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सभी सदस्यों से अध्यक्ष पद के लिए बंद लिफाफ़े में चार विकल्प सुझाने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक़, कार्य समिति के सदस्यों ने इस फ़ॉर्मूले के तहत नाम भेजने शुरू भी कर दिए हैं।
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कार्य समिति के सभी सदस्यों की तरफ़ से नाम भेजे जाने के बाद संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल सबसे लोकप्रिय चार नामों में से एक नाम चुनने के लिए हर सदस्य से अलग-अलग फ़ोन पर बात भी करेंगे। किसी एक नाम पर सहमति बनने के बाद ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई जाएगी।
हाल ही में वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह ने बयान जारी करके पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की अगुवाई में कार्य समिति की बैठक बुलाने की माँग की थी तो मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और लंबे समय तक महासचिव रहे जनार्दन द्विवेदी ने बाक़ायदा प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर चल रही कवायद पर ही गंभीर सवाल उठा दिए थे।
द्विवेदी ने कहा, 'कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर जो पार्टी नेता बैठकें कर रहे हैं, आख़िर उन्हें इस काम के लिए किसने अधिकृत किया है। नए अध्यक्ष को लेकर कौन किससे क्या मशविरा कर रहा है, कुछ पता नहीं चल रहा है। यह प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। '
जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि राहुल गाँधी को इस्तीफ़ा देने से पहले अगले अध्यक्ष के चयन को लेकर कोई व्यवस्था बनानी चाहिए थी। मसलन, वह कोई नए अध्यक्ष के लिए चयन समिति बना देते। क्योंकि राहुल गाँधी ने यह व्यवस्था नहीं बनाई, लिहाज़ा नए अध्यक्ष का फ़ैसला कांग्रेस कार्य समिति को करना चाहिए। इसके लिए जितना जल्दी हो सके कार्यसमिति की बैठक बुलाकर नए अध्यक्ष का चुनाव करके पार्टी को असमंजस से बचाया जाना चाहिए। बता दें कि डॉक्टर कर्ण सिंह ने भी अपने बयान में लगभग ऐसे ही तर्क दिए थे। कुछ ही दिन पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी ने पार्टी अध्यक्ष को लेकर अपनी राय ज़ाहिर की थी। उनका कहना था कि किसी युवा को पार्टी की कमान सौंपी जानी चाहिए।
तीन बड़े नेताओं के सार्वजनिक रूप से नए अध्यक्ष के चयन को लेकर चल रही क़वायद पर सवाल उठाने से यह ज़ाहिर हो गया है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।
दरअसल, राहुल गाँधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के बाद पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच पार्टी नेतृत्व पर अपना वर्चस्व क़ायम रखने की होड़ मची हुई है। कांग्रेस के संविधान के मुताबिक़, पार्टी में अध्यक्ष के बाद दूसरे नंबर का सबसे ताक़तवर व्यक्ति पार्टी का कोषाध्यक्ष होता है जो कि इस वक्त अहमद पटेल हैं। नए अध्यक्ष को लेकर चल रही क़वायद की अगुवाई पटेल ही कर रहे हैं। यह बात उन तमाम नेताओं को नहीं पच रही है, जो पिछले 20 साल से अहमद पटेल को 10 जनपथ से दूर करने की कोशिशों में जुटे हैं।
पार्टी के नेता नए अध्यक्ष चुनने की कवायद को लेकर इशारोंं-इशारोंं में सवाल उठा रहे हैं। खुलकर कोई भी नहीं बोल रहा। अंदर की बात यह है कि पार्टी के दिग्गज नेताओं का गुट अपनी पसंद का नया अध्यक्ष चाहता है।
नए अध्यक्ष के चुनाव में जो लोग जुटे हैं उनमें सबसे अहम कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, राज्यसभा में पार्टी के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महासचिव मुकुल वासनिक, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, लोकसभा में पार्टी के पूर्व नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और एके एंटनी जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। ये नेता पार्टी कार्यालय में दो बार नए अध्यक्ष के मुद्दे पर बैठक कर चुके हैं लेकिन किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन सकी है।बता दें कि राहुल गाँधी के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए कार्य समिति में उन्हें मिलाकर कुल 25 सदस्य थे। पार्टी के सभी महासचिव कार्य समिति के सदस्य भी होते हैं। राहुल गाँधी के कार्यकाल में पार्टी में कुल 14 महासचिव थे इनमें से तीन नेता इस्तीफ़ा दे चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गाँधी और 3 महासचिवों के इस्तीफ़ा देने के बाद अब कार्य समिति में 21 सदस्य बचे हैं। इनके अलावा कार्य समिति में 19 स्थाई रूप से आमंत्रित सदस्य हैं और 10 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।
नया अध्यक्ष चुनने की क़वायद से नाख़ुश नेताओं की माँग है कि अगर पूर्ण कार्य समिति की बैठक नहीं बुलाई जाती है तो 20 सदस्यों की ही बैठक बुलाकर नए अध्यक्ष के नाम पर खुली चर्चा होनी चाहिए। इस चर्चा में जिसके नाम पर सहमति बने, उसे पार्टी का अध्यक्ष बना देना चाहिए।
पटेल पर किया हमला!
मंगलवार को हुई जनार्दन द्विवेदी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस को कांग्रेस कोषाध्यक्ष अहमद पटेल और उनके क़रीबी नेताओं पर सीधा हमला माना जा रहा है। द्विवेदी ने बेहद दुखी मन से कहा, ‘इस स्थिति पर बात करना कष्टदायक है। संगठन की स्थिति देखकर पीड़ा होती है। संगठन की इस हालत के लिए जिम्मेदार कारण बाहर नहीं भीतर हैं।’ उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सितंबर 2014 में पार्टी महासचिव से पद से इस्तीफ़ा देने वाली चिट्ठी भी सार्वजनिक की। उन्होंने कहा कि उन्होंने नए लोगों और युवाओं को पार्टी संगठन में मौका देने के लिए पाँच साल पहले ही तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को अपना इस्तीफ़ा दे दिया था लेकिन तब उनका इस्तीफ़ा मंजूर नहीं हुआ था।
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जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि पार्टी में बहुत सारी ऐसी बातें और ऐसे फ़ैसले हुए जिन से वह सहमत नहीं थे। उन्होंने अपनी असहमति को कभी छुपाया नहीं बल्कि पार्टी नेतृत्व के सामने खुल कर रखा। उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने आर्थिक आधार पर आरक्षण की माँग की थी लेकिन तब पार्टी ने इस माँग से किनारा कर लिया था। अब जब मोदी सरकार सवर्णों के लिए 10% आरक्षण का प्रस्ताव लेकर आई तो सारी पार्टियों ने चुप्पी साध ली। बता दें कि 2012 में जनार्दन द्विवेदी ने मौजूदा आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए आर्थिक आधार पर भी आरक्षण देने की मांग की थी लेकिन उस वक्त वह अपनी पार्टी में अलग-थलग पड़ गए थे।
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हर रोज पार्टी के दिग्गज नेताओं के नए अध्यक्ष को लेकर चल रही कवायद पर सवाल उठने के बाद पार्टी के भीतर घमासान तेज़ होने के आसार हैं। लिहाजा इस कवायद में जुटे लोग मामले को जल्द ठंडा करने की कोशिशों में भी जुटे हैं। इन हालात को देखकर लगता है कि आने वाले दिनों में पार्टी के कुछ और लोग मुँह खोलेंगे और अपनी भड़ास निकालेंगे।
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