सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 23 अगस्त को योग गुरु रामदेव को एलोपैथिक डॉक्टरों और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से मना किया।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन.वी. रमना की बेंच ने एक आदेश में रामदेव से कहा कि उन्हें डॉक्टरों और उस सिस्टम के खिलाफ कुछ भी अपशब्द कहने का अधिकार नहीं है। यह बेहतर होगा कि वह अन्य मेडिकल प्रणालियों की आलोचना करने से दूर रहें।
अदालत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया। आईएमए ने वैक्सीनेशन अभियान और एलोपैथिक इलाज के खिलाफ "भ्रामक" विज्ञापनों को अपनी याचिका के जरिए चुनौती दी है।
कोर्ट ने एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया, सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ऑफ इंडिया और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से भी इस मामले में जवाब मांगा है।
आईएमए के वकील ने कहा कि इन विज्ञापनों में यह भी प्रचारित किया गया है कि एलोपैथी दवा खाने से "हड्डियाँ कमजोर होंगी", "आपकी प्रतिरक्षा कम हो जाएगी", आदि।
आईएमए ने कहा, "वे कहते हैं कि डॉक्टर खुद एलोपैथिक दवाएं खा रहे थे लेकिन फिर भी कोविड से मर रहे थे। अगर यह सब जारी रहा, तो यह हमारे लिए गंभीर पूर्वाग्रह का कारण होगा।"
रामदेव टीवी पर पहले योग सिखाते थे। उनका योग मशहूर हुआ तो उन्होंने पतंजलि खड़ी कर दी। बाद में पतंजलि पाउडर, क्रीम से लेकर जीन्स तक बनाने लगा। रामदेव ने कोविड की दवा बनाने का दावा पेश कर दिया। रामदेव की कंपनी ने कोविड ठीक कर देने वाला काढ़ा बनाने का दावा किया। पतंजलि की शहद और देसी घी को लेकर सवाल उठे। रामदेव की कंपनियों के कई और उत्पाद भी इन दिनों काफी चर्चा में हैं। कुछ उत्पादों के खिलाफ शिकायतें हुई हैं। हाल ही में खबर आई थी कि पतंजलि काफी वित्तीय संकट से भी जूझ रही है लेकिन रामदेव ने इसका खंडन किया था और कहा था कि पतंजलि देश की नं. 1 एफएमसीजी कंपनी बनेगी।
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