हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के जाने-माने क्लासिकल गायक रहे राजन मिश्रा के बेटे रजनीश मिश्रा ने कहा है कि प्रधानमंत्री का आवास कुछ वक़्त बाद भी बन सकता है और इसमें लगने वाले पैसे को स्वास्थ्य सुविधाओं में लगाया जाना चाहिए जिससे इस महामारी में लोगों की जान बचाई जा सके।
बता दें कि महामारी से पस्त हो चुके भारत की राजधानी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर तेज़ गति से काम चल रहा है। सामाजिक चिंतकों का कहना है कि इस बेहद ख़राब वक़्त में सेंट्रल विस्टा के काम को रोक दिया जाना चाहिए था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नए संसद भवन के साथ ही प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ कई मंत्रालयों के कार्यालय और केंद्रीय सचिवालय भी बनाया जाएगा। यह प्रोजेक्ट 20 हज़ार करोड़ का है।
यहां ये भी बताना ज़रूरी होगा कि राजन मिश्रा की बीते महीने कोरोना से संक्रमित होने के कारण मौत हो गई थी। लाख कोशिशों के बाद भी मिश्रा को दिल्ली में एक वेंटिलेटर तक नहीं मिल पाया था। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हुई थी।
रजनीश मिश्रा ने ‘द टेलीग्राफ़’ से बातचीत में कहा, “पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित राजन मिश्रा को तक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल सकीं तो आम आदमी का क्या हाल होगा। अगर स्वास्थ्य सुविधा मिल जाती तो वे (पिता) बच जाते।”
रजनीश मिश्रा ने कहा, “किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसे अवार्ड देना या उसके लिए स्मारक बनाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह शख़्स अब इस दुनिया में नहीं है। लोगों को जब वे जीवित हों तब सुविधा चाहिए, चाहे वे वीआईपी हों या नहीं।”
डीआरडीओ की ओर से वाराणसी में बनाए गए एक अस्थायी अस्पताल को राजन मिश्रा के नाम पर रखा गया है। रजनीश मिश्रा इसे लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
रजनीश ने ‘द टेलीग्राफ़’ से कहा, “हम ना इससे ख़ुश हैं और ना दुखी, ना ही हमें इससे कोई लेना-देना है कि अस्पताल का नाम मेरे पिता के नाम पर रखा गया है। हम सरकार या किसी और को उनकी मौत के लिए दोष नहीं देना चाहते।”
उन्होंने आगे कहा, “हम सब जानते हैं कि हमारे देश का स्वास्थ्य ढांचा पूरी तरह ढह चुका है। आपके पास मंदिर या प्रधानमंत्री आवास या राष्ट्रपति भवन बनाने के लिए पैसा है, इन चीजों को रोका जा सकता है। अभी हमें पैसे को स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश करने की ज़रूरत है जिससे हमारी तरह दूसरे परिवार परेशान न हों।”
सरकार की आलोचना
राजन मिश्रा की दिल्ली के सेंट स्टीफ़न अस्पताल में मौत हुई थी। उनकी मौत से पहले उनके दोस्त विश्व मोहन भट्ट ने एक वेंटिलेटर की ज़रूरत की गुहार ट्विटर पर लगाई थी। कई बड़े अफ़सरों से संपर्क के बाद भी मिश्रा को वेंटिलेटर नहीं मिल सका था। लेकिन उनकी मौत के बाद एक अस्पताल का नाम उनके नाम पर रखे जाने को लेकर लोग सोशल मीडिया पर सरकार की ख़ूब आलोचना कर रहे हैं।
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