मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद, लोकसभा सचिवालय ने पुष्टि की कि उसे कांग्रेस से दो पत्र मिले हैं, जिनकी सदस्यता बहाल करने पर "योग्यता-आधारित" निर्णय से पहले सोमवार को जांच की जाएगी। पूर्व पार्टी प्रमुख की सदस्यता पर निर्णय लिया जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश के इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कि राहुल की अयोग्यता का नोटिस सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के 26 घंटे के भीतर जारी किया गया था और इसलिए उनकी सदस्यता उसी गति से बहाल की जानी चाहिए। लोकसभा सचिवालय के एक पदाधिकारी ने कहा कि दोनों स्थितियों की तुलना नहीं की जा सकती है।
उस अधिकारी ने कहा कि “सत्र न्यायालय का आदेश कार्य दिवसों के दौरान आया था जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश शुक्रवार को आया था और लोकसभा सचिवालय शनिवार और रविवार को बंद रहता है। कांग्रेस के पत्रों की जांच सोमवार को की जाएगी जिसके बाद योग्यता के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।''
इससे पहले, जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ''सूरत में सत्र न्यायालय द्वारा राहुल गांधी को 'दोषी' ठहराए जाने के 26 घंटे बाद, सांसद के रूप में उनकी अयोग्यता की अधिसूचना जारी की गई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी पूरी तरह से अनुचित दोषसिद्धि पर रोक लगाए हुए 36 घंटे बीत चुके हैं। सांसद के रूप में उनका पद अभी तक बहाल क्यों नहीं किया गया? क्या प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव में राहुल की भागीदारी से डरते हैं?”
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि उन्होंने कोर्ट के सभी कागजात लोकसभा सचिवालय में शनिवार सुबह को ही जमा करा दिए थे। साथ ही अऩुरोध किया था कि लोकसभा सचिवालय अपने पिछले फैसले की तरह इस मामले में भी तेजी से काम करते हुए तुरंत फैसला सुनाएगी। चौधरी ने बताया कि जब उन्होंने इस संबंध में स्पीकर ओम बिड़ला से बात की तो उन्होंने कहा था कि आप संपर्क में रहिएगा । जब उनसे शनिवार सुबह संपर्क किया तो उन्होंने कोर्ट पेपर लोकसभा सचिवालय में जमा कराने को कहा। जब वो लोकसभा सचिवालय पेपर लेकर गए तो उन्हें बताया गया कि शनिवार की छुट्टी है, आप स्पीकर से संपर्क करें। इसके बाद मैंने मेल से दस्तावेज भेजे।
राहुल गांधी के मामले में जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया, विपक्षी गठबंधन इंडिया ने राहुल की सदस्यता उसी गति से बहाल करने की मांग की, जिस गति से गुजरात के सेशन कोर्ट का फैसला आने के बाद राहुल की लोकसभा सदस्यता चंद घंटों में छीन ली गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए दो दिन हो चुके हैं, लोकसभा अध्यक्ष कान में रुई डालकर बैठे हुए हैं।
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